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नई दिल्ली: नए संसद भवन (new Parliament House) के उद्घाटन का मामला गंभीर होता जा रहा है। अभी तक राजनितिक दलों तक यह बहसबाजी चल रही थी। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा गया है। सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ सभी विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल दिया है और पीएम मोदी (PM Modi) द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार किया है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर (Public Interest Litigation) कर यह निर्देश देने की मांग की गई है कि नई संसद भवन का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए।

वहीं केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि उन्होंने (विपक्षी दलों ने) संविधान से कुछ अनुच्छेद बोले और उस आधार पर हमें सलाह दे रहे। उस समय भी इंदिरा गांधी ने (संसद के उपभवन के उद्घाटन के दौरान) किया था। आपके पास अपने लिए अलग मानक हैं और दूसरों के लिए अलग। यह देश और किसी भी व्यक्ति के जीवन में एक बार आने वाला क्षण है। फ़ुटनोट में कहीं लिखा जाएगा कि इन लोगों द्वारा संसद भवन के खुलने के कार्यक्रम का बहिष्कार किया था।  

विपक्षी दलों द्वारा नए संसद के उद्घाटन का बहिष्कार करने पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चेन्नई में कहा कि यह लोकतंत्र का मंदिर है, यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री भी इसके कदमों पर झुककर संसद में प्रवेश करते हैं। मैं विपक्ष से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करती हूं कि कृपया पुनर्विचार करें और समारोह में हिस्सा लें। 

वहीं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कांग्रेस और जो दल उनके साथ बहिष्कार कर रहे हैं उनका लोकतंत्र पर विश्वास नहीं है। यह सिर्फ संसद भवन नहीं बल्कि 140 करोड़ लोगों के आस्था का मंदिर और नए भारत की ताकत का प्रतीक है। यह कहते हैं कि राष्ट्रपति को उद्घाटन करना चाहिए तो जब इंदिरा गांधी जी ने संसद उपभवन का उद्घाटन किया तब यह बात क्यों नहीं आई?