delay in project
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    नई दिल्ली: भारत सरकार की सड़क परिवहन और राजमार्ग (road transport and highways) क्षेत्र में सबसे अधिक 428 परियोजनाएं लंबित हैं। इसके बाद रेलवे की 117 और पेट्रोलियम क्षेत्र  (petroleum sector) में 88 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। सरकार की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं पर दिसंबर, 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र में 724 में से 428 परियोजनाओं में देरी (delay in projects) हो रही है। रेलवे (Railway) की 173 में से 117 परियोजनाएं अपने समय से पीछे चल रही हैं। वहीं पेट्रोलियम क्षेत्र की 158 में से 88 परियोजनाएं अपने निर्धारित समय से पीछे चल रही हैं।   

    अवसंरचना एवं परियोजना निगरानी प्रभाग (IPMD) 150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी करता है। IPMD, सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है। रिपोर्ट से पता चलता है कि मुनीराबाद-महबूबनगर रेल परियोजना सबसे अधिक देरी वाली परियोजना हैं। यह अपने निर्धारित समय से 276 महीने पीछे है। 

    उधमपुर-श्रीनगर-बारापूला रेल परियोजना

    दूसरी सबसे देरी वाली परियोजना उधमपुर-श्रीनगर-बारापूला रेल परियोजना है। इसमें 247 माह का विलंब है। इसके अलावा बेलापुर-सीवुड शहरी विद्युतीकरण दोहरी लाइन परियोजना अपने निर्धारित समय से 228 महीने पीछे है। दिसंबर, 2022 की रिपोर्ट में 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली 1,438 केंद्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं का ब्योरा है।  

    लागत 5.4 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान

    रिपोर्ट के अनुसार, 835 परियोजनाएं अपने मूल समय से पीछे हैं। वहीं 174 परियोजनाएं ऐसी हैं जिनमें पिछले माह की तुलना में विलंब की अवधि और बढ़ी है। इन 174 परियोजनाओं में से 47 विशाल यानी 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं हैं।  सड़क परिवहन एवं राजमार्ग क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 724 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,82,180.34 करोड़ रुपये थी, जिसके अब बढ़कर 4,02,958.36 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इस तरह इन परियोजनाओं की लागत 5.4 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। 

    किया गया संशोधन 

    दिसंबर, 2022 तक इन परियोजनाओं पर 2,35,925.26 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो मूल लागत का 58.5 प्रतिशत है। इसी तरह रेलवे क्षेत्र में 173 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,72,761.45 करोड़ रुपये थी, जिसे बाद में संशोधित कर 6,25,491.15 करोड़ रुपये कर दिया गया। इस तरह इनकी लागत में 67.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन परियोजनाओं पर दिसंबर, 2022 तक 3,65,079.88 करोड़ रुपये या परियोजनाओं की अनुमानित लागत का 58.4 प्रतिशत खर्च किया जा चुका है।    

    पेट्रोलियम क्षेत्र भी पीछे 

    पेट्रोलियम क्षेत्र की 158 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,82,097.19 करोड़ रुपये थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 4,02,446.01 करोड़ रुपये कर दिया गया। इन परियोजनाओं की लागत में 5.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। दिसंबर 2022 तक इन परियोजनाओं पर 1,54,240.87 करोड़ रुपये या उनकी अनुमानित लागत का 38.3 प्रतिशत खर्च हो चुका है। (एजेंसी)