नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बुधवार (1 फरवरी) केंद्रीय बजट 2023-24 पेश किया। वित्त मंत्री इस बजट पर पूरे देश की नजर थी, क्योंकि यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट था। इस बजट पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandh) ने प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस सांसद ने ट्वीट किया कि, “मित्र काल बजट में- नौकरियां पैदा करने के लिए कोई विजन नहीं, महंगाई से निपटने की कोई योजना नहीं है, असमानता को दूर करने का कोई इरादा नहीं है।”
उन्होंने आगे यह भी लिखा कि, “1% सबसे अमीर 40% संपत्ति के मालिक हैं, 50% सबसे गरीब 64% जीएसटी का भुगतान करते हैं, 42% युवा बेरोजगार हैं- फिर भी, पीएम को परवाह नहीं है। यह बजट साबित करता है कि भारत के भविष्य के निर्माण के लिए सरकार के पास कोई रोडमैप नहीं है।”
‘Mitr Kaal’ Budget has:
NO vision to create Jobs
NO plan to tackle Mehngai
NO intent to stem Inequality1% richest own 40% wealth, 50% poorest pay 64% of GST, 42% youth are unemployed- yet, PM doesn’t Care!
This Budget proves Govt has NO roadmap to build India’s future.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 1, 2023
लोगों की उम्मीदों के साथ विश्वासघात: पी. चिदंबरम
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने इस बजट की आलोचना की है। उन्होंने कहा, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश किए गए केंद्रीय बजट ने देश के ज्यादातर लोगों की उम्मीदों के साथ विश्वासघात किया है। उन्होंने बयान में कहा, ‘‘वर्ष 2023-24 के लिए बजट और वित्त मंत्री का बजट भाषण यह प्रदर्शित करता है कि जनता, उसके जीवन, आजीविका तथा अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई से सरकार कितनी अनजान है।”
चिदंबरम ने यह भी दावा किया कि, ‘‘वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में बेरोजगारी, गरीबी और असमानता जैसे शब्दों का कहीं उल्लेख नहीं किया। शुक्र है कि उन्होंने ‘गरीब’ शब्द का उल्लेख दो बार किया।” उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि भारत के लोग इसका संज्ञान लेंगे कि सरकार को किन लोगों की चिंता है और किन लोगों की नहीं है।”
ओवर प्रॉमिस, अंडर डिलिवर: जयराम रमेश
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘पिछले साल के बजट ने कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनरेगा और अनुसूचित जातियों के लिए कल्याण से जुड़े आवंटन को लेकर वाहवाही बटोरी थी। आज वास्तविकता सर्वविदित है। वास्तविक खर्च बजट के मुकाबले काफी कम है।’ उन्होंने दावा किया, ‘‘ यह ‘हेडलाइन मैनेजमेंट’ के लिए मोदी की ‘ओपेड’ रणनीति-ओवर प्रॉमिस, अंडर डिलिवर’ (वादे ज्यादा, कम काम) है।”