नयी दिल्ली. जहाँ एक तरफ भारत (India) और चीन (China) की बीच तनातनी बढती ही जा रही है। वहीँ अब LAC में चीन से निपटने के लिए अब उत्तरप्रदेश की एक फर्म ने सुरक्षा बलों के लिए पारंपरिक भारतीय हथियारों से प्रेरित गैर-घातक हथियार विकसित किए हैं। गौरतलब है कि बीते गलवान झड़प में चीन द्वारा हमारे सैनिकों के खिलाफ तार वाली लाठी, टेसर का इस्तेमाल करने के बाद सुरक्षा बलों ने इस फर्म को गैर-घातक हथियार विकसित करने के लिए कहा था।
अब नहीं चीनी सैनिकों की खैर
इस बात नोएडा में एक स्टार्ट-अप फर्म ने कहा कि गलवान घाटी संघर्ष के तुरंत बाद, भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा उन्हें चीन से निपटने में सक्षम होने के लिए उपकरण प्रदान करने का काम सौंपा गया था और उन्होंने ऐसे ही बेहतरीन गैर-घातक हथियारों के रूप में एक समाधान प्रदान किया है। इसमें भगवान शिव के ‘त्रिशूल’ जैसे पारंपरिक भारतीय हथियार भी हैं।
A UP-based firm has developed non-lethal weapons inspired by traditional Indian weapons for security forces
Security forces asked us to develop non-lethal weapons after the Chinese used wired sticks, tasers against our soldiers in Galwan clash: Mohit Kumar, CTO, Apastron Pvt Ltd pic.twitter.com/5rOinDuGIK
— ANI (@ANI) October 18, 2021
इस मुद्दे पर मुख्य प्रौद्योगिकी मोहित कुमार ने कहा, “हमें भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा गैर-घातक उपकरण विकसित करने के लिए कहा गया था, जब चीनी ने हमारे सैनिकों के खिलाफ गलवान संघर्ष में तार की छड़ें और टेसर का इस्तेमाल किया था। तभी हमने इस हमले के बाद ऐसे ही कुछ बेहतरीन हथियार बनाने की सोची।
अब इंडियन आर्मी के पास आया ‘वज्र’ और ‘त्रिशूल’
अपेस्टरॉन प्राइवेट लिमिटेड (Apastron Pvt Ltd) के अधिकारी कुमार ने बताया, “हमने भारतीय सुरक्षा बलों के लिए अपने शास्त्रों के पारंपरिक हथियारों से प्रेरित ऐसे ही टैसर और गैर-घातक भी विकसित किए हैं।”इन विभिन्न हथियारों और उपकरणों का प्रदर्शन करते हुए, उन्होंने कहा कि, हमने ‘वज्र’ के नाम से स्पाइक्स के साथ एक मेटल रोड टेजर विकसित किया गया है और इसका इस्तेमाल दुश्मन सैनिकों पर आक्रामक रूप से हमला करने के साथ-साथ उनके बुलेट प्रूफ वाहनों को पंचर करने के लिए भी किया जा सकता है।उन्होंने आगे कहा कि वज्र में स्पाइक्स भी होते हैं जो एक अनुमेय सीमा के तहत करंट यानी विधुत का निर्वहन करते हैं और दुश्मन के सैनिक को आमने-सामने की लड़ाई के दौरान उसे निष्काम भी बना सकते हैं।
‘Vajra’, a metal road taser with spikes can be used for both tasing & in hand to hand combat as well as to puncture bullet proof vehicles. The ‘Trishul’ can be used for tasing as well as blocking vehicles of enemy: Mohit Kumar, Chief Technology Officer, Apastron Pvt Ltd pic.twitter.com/eH5cZKmLzZ
— ANI (@ANI) October 18, 2021
इसके बाद कुमार ने ‘त्रिशूल’ का प्रदर्शन भी किया जिसका उपयोग विरोधियों के वाहनों को रोकने के साथ-साथ निषिद्ध क्षेत्रों में प्रवेश करने की कोशिश करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने साथ ही को ‘सैपर पंच’ का भी प्रदर्शन किया कहा जाता है, जिसे सर्दियों में सुरक्षा दस्ताने की तरह पहना जा सकता है और इसका इस्तेमाल विरोधी हमलावर दुश्मन सैनिकों को विधुत या करंट के एक या दो झटके देने के लिए किया जा सकता है।
#WATCH ‘Trishul’ and ‘Sapper Punch’- non-lethal weapons-developed by UP-based Apasteron Pvt Ltd to make the enemy temporarily ineffective in case of violent face offs pic.twitter.com/DmniC0TOET
— ANI (@ANI) October 18, 2021
इसके साथ ही भारतीय सैनिकों को प्रदान किए गए विभिन्न प्रकार के उपकरणों की क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए, कुमार ने बताया कि, इन प्रदर्शित हथियारों में से कोई भी मौत या किसी भी गंभीर चोट का कारण नहीं बन सकता है, लेकिन दुश्मन सैनिकों को हाथ से हाथ की लड़ाई के दौरान अस्थायी रूप से अप्रभावी जरुर बना सकता है।
भूले नहीं गलवान घाटी की खुनी मुठभेड़
बता दें कि चीनी सेना के सैनिकों ने गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों साथ हुए झड़प में ऐसे ही हथियारों से हमला किया था। हमारे सैनिकों को गंभीर चोट पहुंचाने के उद्देश्य से टेसर और कांटेदार क्लबों का भी इस्तेमाल किया था, वह भी ऐसी जहाँ बीते साल तक पिछले चार दशकों से अधिक समय तक गोलियां नहीं चलाई गई थीं।तब इस खुनी झड़प के तुरंत बाद, इंडियन आर्मी ने सुरक्षात्मक गियर के साथ-साथ चीनी अपरंपरागत हथियारों के जवाब में इस्तेमाल होने वाले ऐसे ही हथियार और उपकरणों को बनाने की कवायद शुरू कर दी थी।
हालाँकि यह पूछे जाने पर कि फिलहाल भारतीय सुरक्षा बलों ने कौन से हथियार और उपकरण ले लिए हैं, इस कुमार ने कुछ भी बताने से से इनकार कर दिया। वहीं अपेस्टरॉन प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारी कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि ये गैर-घातक हथियार निजी व्यक्तियों या आम जनता को बेचने के लिए उपलब्ध नहीं है और ये केवल सुरक्षा बलों और देश की अन्य सुरक्षा एजेंसियों के लिए ही उपलब्ध हैं।