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    नई दिल्ली: कोरोना काल में जब हम बीमार थे और हमारे करीबी लोग मौत के करीब थे तब निस्वार्थ भाव से अपनी जान की परवाह किये बगैर जो घंटों हमारे सेवा में लगे रहते थे वह और कोई नहीं बल्कि नर्स थे। जी हां बीमार या रोगी के स्वास्थ्य के लिए एक डॉक्टर की भूमिका महत्वपूर्ण है लेकिन हेल्थ सेक्टर में डॉक्टर के साथ ही नर्स भी  बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हम सब जानते है कि कोरोना काल में डॉक्टर और नर्स कोरोना वॉरियर्स या योद्धा कहलाएं। उस दौरान डॉक्टरों से साथ ही नर्सेस ने दिन रात लोगों की सेवा की। उनकी इसी सेवाभाव को सम्मान देने के लिए सालों से हर साल मई में नर्स दिवस मनाया जाता है।

    बता दें कि 12 मई यानी आज ‘अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस’ मनाया है। दरअसल इस दिन को नर्सों के योगदान और सम्मान के प्रति समर्पित किया गया है। कोरोना काल में नर्स की भूमिका को लोगों ने समझ लिया लेकिन नर्स दिवस को मनाने की शुरुआत दशकों पहले हो चुकी है। क्या आपको पता है कि नर्स दिवस मनाने की शुरुआत क्यों और कब हुई? आखिर किस नर्स की सेवा भाव को लोगों ने नोटिस किया और इस दिन को समर्पित कर दिया। आज अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के मौके पर आइए जानते है इस दिवस से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें… 

    फ्लोरेंस नाइटिंगेल का नर्स दिवस क्या है संबंध 

    सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस को मनाने की शुरुआत साल 1974 जनवरी से हुई थी। यह दिन आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल को समर्पित है। उनकी याद में ही 12 मई को नर्स दिवस मनाया जाता है। लेकिन शुरुआत में जनवरी और बाद में मई में नर्स दिवस मनाने के पीछे की वजह और फ्लोरेंस नाइटिंगेल का इस दिन से संबंध के बारे में जानें।

    आखिर 12 मई को ही क्यों मनाया जाता है नर्स दिवस

    अब आपके मन में सवाल होगा कि जब यह  दिन पहले जनवरी महीने में मनाया जाता था तो आखिर इसमें क्यों बदलाव किया गया।  तो आज हम आपको इस बात का भी जवाब देते है। दरअसल हर साल 12 मई को नर्स दिवस मनाया जाता है। इसका कारण फ्लोरेंस नाइटिंगेल हैं, जिनका जन्म 12 मई के दिन हुआ था। फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने ही नोबेल नर्सिंग सेवा की शुरुआत की थी। इसलिए अब इनके जन्मदिन के अवसर पर यह दिन मनाया जाता है। 

    जानें कौन हैं फ्लोरेंस नाइटिंगेल?

    दरअसल फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म 12 मई 1820 को हुआ था। उन्होंने जिंदगी भर बीमार और रोगियों की सेवा की। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन बता दें कि फ्लोरेंस का खुद का बचपन बीमारी और शारीरिक कमजोरी में बीता। उन दिनों स्वास्थ्य संबंधी कई सुविधाओं की कमी थी, जिस वजह से कई शारीरिक समस्याओं को झेलना पड़ता था।

    बिजली उपकरण नहीं थे। हाथों में लालटेन लेकर अस्पताल में स्वास्थ्य गतिविधियां की जाती थीं। फ्लोरेंस को अपने मरीजों की हमेशा फिक्र रहती थी। उनकी देखभाल के लिए फ्लोरेंस रात में भी अस्पताल में घूम कर चेक करती कि किसी रोगी को कोई जरूरत तो नहीं है। गरीब, बीमार और दुखियों के लिए वह कार्य करती थीं। उनकी नर्सिंग सेवा ने समाज में नर्सों को सम्मानजनक स्थान दिलाया। 1960 में फ्लोरेंस के प्रयासों से आर्मी मेडिकल स्कूल की स्थापना हुई। विग्ज्ञापन  

    ‘इस’ साल हुई इस दिवस को मनाने की शुरुआत

    आपको बता दें कि साल 1974 में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स ने अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाने की घोषणा की थी। उसके बाद इस दिन इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स उन दिनों कार्यरत नर्सों को किट का वितरण करने लगी, जिसमें उनके काम से संबंधित कई चीजें शामिल होती है। हर साल यह दिवस बड़े उत्साह मनाया जाता है।  इस दिन नर्स का सम्मान किया जाता है।