देश के ‘अनमोल रत्न’ रतन टाटा का आज 85 वां जन्मदिन, जानें उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें

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    नई दिल्ली: देश के लिए कुछ दिन इतने खास होते है, जो हमें खुशियां देते है, जी हां आज ही के दिन हमारे देश को एक ऐसा हीरा मिला है जिसकी तुलना हम किसी से भी नहीं कर सकते। बता दें कि आज 28 दिसंबर, 2022 को टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा (Tata Sons’ Chairman Emeritus Ratan Tata) अपना 85 वां जन्मदिन मना रहे हैं। आज इस खास मौके पर आइए जानते है रतन टाटा से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें… 

    रतन टाटा ऐसे है औरों से अलग 

    आपको बता दें कि देश के  इस अनमोल शख्सियत का जन्म 28 दिसंबर, 1937 में गुजरात के सूरत में हुआ है, आज हम सब जानते है कि रतन टाटा देश के सबसे सफल व्यवसायियों में से एक है, जिन्होंने करोड़ों लोगों का दिल भी जीता है उनकी सेवा करके। वैसे तो उन्हें सब जानते है लेकिन एक बात जो रतन टाटा को अन्य उद्योगपतियों से अलग और ऊपर करती है, वह है उनके जीवन के उच्‍च आदर्श। जी हां, वह आज भी व्यापार करते समय दया और सहानुभूति को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं।

    ऐसे शुरू किया करियर 

    गुजरात में जन्में रतन टाटा के पिता का नाम नवल टाटा था। वहीं उनकी मां का नाम सौनी टाटा था। नवल टाटा, टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के दत्तक पोते थे। जानकारी के लिए आपको बता दें कि रतन टाटा ने 25 साल की उम्र में 1962 में टाटा समूह के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। हालांकि बाद में वे अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल भी गए। वे कॉर्नेल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर के पूर्व छात्र भी रहे।

    ऐसे चढ़ी कामियाबी की सीढियां

    साल 1962 में भारत लौटने से पहले उन्होंने कुछ समय के लिए लॉस एंजिलिस के जोन्स एंड एमन्स में काम किया था। उन्होंने 1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम भी पूरा किया था। इसके बाद रतन टाटा वर्ष 1962 में टाटा समूह से जुड़े। कई कंपनियों में काम करने के बाद साल 1971 में उनको नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड का डायरेक्टर-इन-चार्ज नियुक्त किया गया था।  जे आर डी टाटा वर्ष 1991 में टाटा संस के चेयरमैन पद से सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद रतन टाटा को टाटा संस का पांचवां चेयरमैन भी बनाया गया। 

    कोरोना में देश को 1500 करोड़ का दान

    इसके बाद तो जैसे उन्‍होंने अपनी मेहनत से टाटा समूह की छवि बदल कर रख दी और बुलंदियों पर पहुंचाया। एक के बाद एक सफलता हासिल करते हुए  रतन टाटा के नेतृत्व में कंपनी ने कई अन्य बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया।इसी क्रम में में टाटा टी ने Tetley, टाटा मोटर्स ने Jaguar Land Rover और टाटा स्टील ने Corus का भी अधिग्रहण कर लिया। इस खास नेतृत्व रखने वाले टाटा यही नहीं रुके बल्कि जब देश पर कोरोना का संकट आया तब उन्होंने 1500 करोड़ देश की सेवा के लिए दान किये। इस तरह उनोन्हे 150 साल पुरानी है परोपकार की परंपरा निभाई है।