आज है देश के प्रसिद्ध व्यंगचित्रकार आर. के. लक्ष्मण का जन्मदिन, जानें उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

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    नई दिल्ली : देश के प्रसिद्ध व्यंगचित्रकार आर. के. लक्ष्मण का आज जन्मदिन है। देश के लिए उनका अमूल्य योगदान रहा है। उन्होंने व्यंगचित्र के जरिये आम लोगों की आशाओं, जरूरतों, मुश्किलों और कमियों को एक कार्टून चरित्र के माध्यम से बताने की कोशिश की है और जिसका नाम था कॉमन मैन। आज उनके जन्मदिन के अवसर पर उनसे जुड़ी कुछ खास बातें आपको बताने जा रहे है। आईये जानते है… 

    यहां हुआ था जन्म

    भारत सरकार ने उन्हे 1973 में पद्म भूषण और 2005 में पद्म विभूषण अवार्ड से नवाजा गया। आर. के. लक्ष्मण का जन्म 24 अक्टूबर 1921 को मैसूर, कर्नाटक में हुआ था। उनका पूरा नाम रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण था। उनके पिता स्कूल में प्रधानाध्यापक के पद पर नियुक्त थे। गाइड जैसे मशहूर उपन्यास की रचना करने वाले आर. के. नारायण उनके बड़े भाई थे। 

    आर. के. लक्ष्मण का वैवाहिक जीवन  

    लक्ष्मण का पहला विवाह भरतनाट्यम नर्तकी और फिल्म अभिनेत्री कुमारी कमला लक्ष्मण के साथ हुआ। कुमारी कमला ने अपना फ़िल्मी करियर बाल-कलाकार के रूप में आरंभ किया था। उनके तलाक के समय तक उनकी कोई संतान नहीं थी जिसके कारण लक्ष्मण ने दूसरा विवाह कर लिया। उनकी दूसरी पत्नी का नाम भी कमला लक्ष्मण ही था और वो एक लेखिका तथा बाल-पुस्तक लेखिका थीं। लक्ष्मण ने “द स्टार आई नेवर मेट” नामक कार्टून श्रृंखला और फ़िल्म पत्रिका फिल्मफेयर में अपनी दूसरी पत्नी कमला लक्ष्मण का “द स्टार आई ओनली मेट” शीर्षक से कार्टून चित्रित किया। उन्हें एक पुत्र हुआ।

    आर. के. लक्ष्मण की शिक्षा

    आर. के. लक्ष्मण ने अपनी शुरुआती सर जमशेदजी जीजेभॉय स्कूल ऑफ आर्ट से प्राप्त की। इसके बाद उन्होने महाराजा कॉलेज, मैसूर से उच्च प्राप्त की। बी.ए. के बाद उन्होंने ‘मैसूर विश्वविद्यालय’ में पढ़ते हुए फ्रीलांस कलाकार के रूप में ‘स्वराज अख़बार’ के लिए कार्टून बनाने शुरू किए, जिससे उन्हें बहुत ख्याति मिली। साथ ही एनिमेटेड फ़िल्मों में भी लक्ष्मण ने मिथकीय पात्र ‘नारद’ का चित्रांकन किया। 

    आर. के. लक्ष्मण का करियर

    लक्ष्मण देश के एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे। उनकी कला गुणों से मानों सब चौंक जाते थे। लक्ष्मण का प्रारंभिक कार्य स्वराज्य और ब्लिट्ज़ नामक पत्रिकाओं सहित समाचार पत्रों में रहा। उन्होंने मैसूर महाराजा महाविद्यालय में पढ़ाई के दौरान अपने बड़े भाई आर॰के॰ नारायण की कहानियों को द हिन्दू में चित्रित करना आरम्भ कर दिया तथा स्थानीय तथा स्वतंत्र के लिए राजनीतिक कार्टून लिखना आरम्भ कर दिया। लक्ष्मण कन्नड़ हास्य पत्रिका कोरवंजी में भी कार्टून लिखने का कार्य किया। 

    यह पत्रिका 1942 में डॉ॰ एम॰ शिवरम स्थापित की थी, इस पत्रिका के संस्थापक एलोपैथिक चिकित्सक थे तथा बैंगलोर के राजसी क्षेत्र में रहते थे। उन्होंने यह मासिक पत्रिका विनोदी, व्यंग्य लेख और कार्टून के लिए यह समर्पित की। शिवरम अपने आप में प्रख्यात कन्नड हास्य रस लेखक थे। उन्होंने लक्ष्मण को भी प्रोत्साहित किया।

    आर. के. लक्ष्मण का सफर 

    लक्ष्मण ने मद्रास के जैमिनी स्टूडियो में ग्रीष्मकालीन रोजगार आरंभ कर दिया। उनका प्रथम पूर्णकालिक व्यवसाय मुम्बई की द फ्री प्रेस जर्नल के राजनीतिक कार्टून कार के रूप में की थी। इस पत्रिका में बाल ठाकरे उनके साथी काटुनकार थे। लक्ष्मण ने द टाइम्स ऑफ़ इंडिया, बॉम्बे से जुड़ गये तथा इसमें लगभग पचास वर्षों तक कार्य किया। उनका “कॉमन मैन” चरित्र प्रजातंत्र के साक्षी के रूप में चित्रित हुआ।