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    नयी दिल्ली/त्रिपुरा. सुबह की बड़ी खबर के अनुसार उत्तरी त्रिपुरा (North Tripura) के पानीसागर उप-मंडल के हमसापारा राहत शिविर (Hampsapara Bru camp) में रहने वाले ब्रू प्रवासियों की अठारह अस्थायी झोपड़ियां बीते शनिवार सुबह आग से जल गईं है, जबकि 11 अन्य को आग को फैलने से रोकने के लिए उन्हें स्थायी रूप से नष्ट कर दिया गया।

    इस बाबत त्रिपुरा पुलिस ने कहा कि शिविर में बिजली के शॉर्ट सर्किट से आग लगी और सुरक्षा के लिए कुछ यहाँ के कुछ झोपड़ियों को तोड़ा गया। इस पर जांच अधिकारी ने बताया था कि, “स्थानीय प्रशासन और पुलिस की टीमें घटना की जांच और ब्योरा एकत्र कर रहीं हैं और देखा जा रहा है कि कितनानुकसान हुआ है।”

    वहीं घटना पर मिजोरम ब्रू डिसप्लेस्ड पीपल्स फोरम (MBDPF) के महासचिव ब्रूनो माशा, ने कहा कि आग बीते शनिवार सुबह 8।30 बजे लगी थी। इसके साथ ही उन्होंने बताया था कि “हंसापारा में हमारी एमबीडीपीएफ शाखा से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, आग को फैलने से रोकने के लिए कुल 18 घर पूरी तरह से जलकर खाक हो गए और 11 घरों को तोड़ दिया गया। आग लगनी की वजह शोर्ट सर्किट बतायी जा रही है।” फिलहाल प्रशासन के अनुसार आग में कोई घायल नहीं हुआ, उन्होंने यह भी बताया था कि यहाँ रह रहे प्रवासियों के सरकारी दस्तावेज आग में जल गए हैं ।

    गौरतलब है की भारत सरकार, त्रिपुरा, मिजोरम की राज्य सरकारों और बिट्री साल जनवरी में हस्ताक्षर किए गए प्रवासियों के बीच एक चतुर्भुज समझौते के मुताबिक, मिजोरम के 32,000 ब्रू प्रवासियों को वर्तमान में पूरे त्रिपुरा के 11 स्थानों पर पुनर्वासित किया जा रहा है, उनमें से कई अभी भी रह रहे हैं। 

    पता हो कि केंद्र सरकार ने बीते साल जनवरी में इन समूहों में प्रवासियों के स्थायी पुनर्वास के लिए 600 करोड़ रुपये के बड़े पैकेज की घोषणा की थी। हालांकि राज्य सरकार ने इन कैंपों को अब तक बिजली कनेक्शन नहीं दिया, लेकिन ख़बरों के अनुसार यहाँ हम्सापारा कैंप के लोगों ने पैसे जमा किए और बिजली कनेक्शन लिया। साथ ही खबर है कि अब बिजली के शॉर्ट सर्किट या अन्य खराबी के कारण आग लगी हो सकती है।

    जानकारी के अनुसार विस्थापित ब्रू साल 1997 में जातीय संघर्ष से बचकर पड़ोसी मिजोरम के ममित, कोलासिब और लुंगलेई जिलों से आए थे। उनमें से करीब 5,000 से अधिक 2009 से कुल 9 चरणों में प्रत्यावर्तित किए गए थे, जबकि मिजोरम के अन्य क्षेत्रों से लगभग इतनी ही संख्या ताजा संघर्षों के कारण त्रिपुरा भाग गई थी।