Swami Prasad Maurya
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव एवं विधान परिषद सदस्य स्‍वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने रविवार को नये संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर कर्नाटक के श्रृंगेरी मठ के पुजारियों (priests of Sringeri Math in Karnataka) द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण कराये जाने को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ‘‘सेंगोल’ (राजदंड) की स्थापना पूजन में केवल दक्षिण के कट्टरपंथी ब्राह्मण गुरुओं (fundamentalist brahmin gurus of the south) को बुलाया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ माह पूर्व रामचरित मानस की एक चौपाई पर अपनी विवादित टिप्पणियों के जरिये सुर्खियों में आये स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को ट्वीट किया, ‘‘सेंगोल राजदंड की स्थापना पूजन में केवल दक्षिण के कट्टरपंथी ब्राह्मण गुरुओं को बुलाया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।” 

इसी ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार का अगर पंथनिरपेक्ष संप्रभु-राष्ट्र भारत में विश्वास होता तो देश के सभी धर्म गुरुओं यथा- बौद्ध धर्माचार्य (भिक्षुगण), जैन आचार्य (ऋषि), गुरु ग्रंथी साहब, मुस्लिम धर्मगुरु (मौलाना), ईसाई धर्मगुरु (पादरी) आदि सभी को आमंत्रित किया जाना चाहिए था।” सपा महासचिव ने आरोप लगाया, ‘‘ऐसा न कर भाजपा ने अपनी दूषित मानसिकता और घृणित सोच को दर्शाया है। भाजपा सरकार सेंगोल राजदंड की स्थापना कर न सिर्फ राजतंत्र के रास्ते पर जा रही है बल्कि दक्षिण के ब्राह्मण धर्मगुरुओं को बुलाकर ब्राह्मणवाद को भी स्थापित करने का कुत्सित प्रयास कर रही है।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार सुबह नये संसद भवन का उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री ने नये संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर ईश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए कर्नाटक के श्रृंगेरी मठ के पुजारियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच ‘गणपति होमम्’ अनुष्ठान किया। प्रधानमंत्री ने ‘‘सेंगोल (राजदंड) को दंडवत प्रणाम किया और हाथ में पवित्र राजदंड लेकर तमिलनाडु के विभिन्न अधीनमों के पुजारियों का आशीर्वाद लिया। इसके बाद ‘नादस्वरम्’ की धुनों के बीच प्रधानमंत्री मोदी सेंगोल को नये संसद भवन लेकर गए और इसे लोकसभा कक्ष में अध्यक्ष के आसन के दाईं ओर एक विशेष स्थान पर स्थापित किया। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस साल की शुरुआत में यह आरोप लगाया था कि श्रीरामचरित मानस के कुछ छंदों ने जाति के आधार पर समाज के एक बड़े वर्ग का ‘‘अपमान” किया और मांग की कि इन पर प्रतिबंध” लगाया जाए। 

मौर्य उत्तर प्रदेश की पिछली भाजपा नीत सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले वह सपा में शामिल हो गए थे। उन्होंने कुशीनगर जिले की फाजिलनगर विधानसभा सीट से सपा से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए। बाद में सपा ने उन्हें विधान परिषद भेज दिया और पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव बनाया। रामचरित मानस की चौपाई पर टिप्पणी करने के बाद मौर्य के खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज हुई। अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने तो 30 जनवरी को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का सिर कलम करने वाले को 21 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी। (एजेंसी)