Photo: @PIB India/ twitter
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    • युवा नवोन्मेषकों के लिए पहला परामर्श कार्यक्रम
    • नेटवर्किंग, हैंड-होल्डिंग और आउटरीच की अवधारणा की दिशा में करेगा मदद ।
    • सरकार जनता, विशेषकर युवाओं में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए उठा रहा कई कदम 

    नई दिल्ली: केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्‍य में युवा नवाचारों के लिए डीबीटी-स्टार कॉलेज मेंटरशिप प्रोग्राम लॉन्च किया, जो युवा नवोन्मेषकों के लिए पहला परामर्श कार्यक्रम है, जो नेटवर्किंग, हैंड-होल्डिंग और आउटरीच की अवधारणा की दिशा में मदद करेगा।

    डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार देश में वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार प्रयासों को मजबूत करके जनता, विशेषकर युवाओं में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए अनेक कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि यह एक अखिल भारतीय योजना है जिसमें जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सहायता से देश के हर जिले में स्टार कॉलेज खोलने की परिकल्पना की गई है। डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि डीबीटी-स्टार कॉलेज परामर्श कार्यक्रम नेटवर्किंग, हैंड होल्डिंग और पहुंच की अवधारणा की दिशा में मदद करेगा। 

    इस योजना में प्रति माह कार्यशालाएं आयोजित करने और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों या कम संपन्न क्षेत्रों में हैंड होल्डिंग तथा सरकारी स्कूलों के साथ पहुंच गतिविधियां आयोजित करने की परिकल्‍पना की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि इन गतिविधियों के तहत अपनी यात्रा शुरू करने वाले नए कॉलेज, स्टार कॉलेज इस योजना में शामिल होने में सक्षम होंगे।

    उन्‍होंने कहा कि स्टार स्‍टेटस के कॉलेज पूरे देश में हैंड होल्डिंग और श्रेष्‍ठ शिक्षण के माध्‍यम से नए कॉलेजों की निगरानी द्वारा यूजी साइंस पाठ्यक्रमों को मजबूत करने की दिशा में डीबीटी के दृष्टिकोण को शामिल करने में मदद करेंगे।इस समारोह में छात्रों, शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को संबोधित करते हुए डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि स्टार कॉलेज योजना के तहत स्टार स्टेटस कॉलेजों का परामर्श कार्यक्रम प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए संबोधन के अनुरूप है, इस संबोधन में प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया था कि अगले 25 वर्षों का रोडमैप जीवन के हर क्षेत्र में वैज्ञानिक और प्रौद्योगिक नवाचारों और वैज्ञानिक कौशल द्वारा निर्धारित किया जाएगा। उन्‍होंने युवा वैज्ञानिकों से बातचीत करने के लिए आगे बढ़ने का आह्वान किया था। 

    उन्होंने कहा कि यह कार्य अच्छी तरह से स्पष्ट दृष्टिकोण, मिशन और लक्ष्यों के माध्यम से ही संभव होगा, जो अच्छी तरह से परिभाषित रणनीतियों और स्‍पष्‍ट रूप से निर्धारित कार्यान्वयन कार्य योजना के माध्यम से संचालित होगा।डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने बताया कि वर्तमान में डीबीटी स्टार कॉलेज योजना के तहत देश भर में कुल 278 स्नातक महाविद्यालयों को सहायता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 के दौरान शहरी और ग्रामीण श्रेणियों में योजना के वर्गीकरण ने देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के आवेदकों के लिए एक समान अवसर सुनिश्चित किए हैं।

     उन्होंने इस बात पर संतोष जाहिर किया कि वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों के 55 कॉलेजों और आकांक्षी जिलों के 15 कॉलेजों को दो साल की लघु अवधि के लिए इस योजना के तहत सहायता प्रदान की जा रही है। 

    डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में 1.5 लाख से अधिक छात्रों को सहायता दी गई और स्टार कॉलेज योजना में भाग लेने वाले कॉलेजों को भी व्‍यापक मदद दी गई। उन्होंने कहा कि यह सहायता केवल उपकरणों की खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह योजना संकाय और प्रयोगशाला कर्मचारियों के प्रशिक्षण, प्रख्यात वैज्ञानिकों के व्याख्यान, अनुसंधान संस्थानों और उद्योग आदि के भ्रमणों में भी सहायता प्रदान करती है। 

    इस प्रकार की समग्र सहायता से सक्षम वातावरण का निर्माण होने की उम्‍मीद है, ताकि छात्र प्रेरित हों और विज्ञान शिक्षा प्राप्‍त करें।उन्‍होंने यह भी कहा कि मानव संसाधन से संबंधित योजनाओं जैसे स्टार कॉलेज योजना, जैव प्रौद्योगिकी में कौशल विज्ञान कार्यक्रम (कौशल विकास कार्यक्रम), जैव औद्योगिक प्रशिक्षण कार्यक्रम, डॉक्टोरल तथा पोस्ट-डॉक्टोरल और रि-एंट्री योजनाएं और फेलोशिप तथा इसी तरह की अन्य योजनाओं के लाभार्थियों की संख्‍या बढ़ाने पर ध्‍यान दिए जाने की जरूरत है।