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    नई दिल्ली: कानून मंत्री किरेन रीजीजू (Kiren Rijiju) ने न्यायाधीशों (judges) के खिलाफ सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर की जा रही अप्रिय टिप्पणियों को लेकर मंगलवार को चिंता प्रकट की। साथ ही, उन्होंने कहा कि कई लोग न्यायाधीश के जीवन और उनकी कड़ी मेहनत को नहीं समझते हैं। 

    उन्होंने यह भी कहा कि विधायिका और न्यायपालिका क्षेत्राधिकार के लिए नहीं लड़ रही है और वे दोनों इस देश को एक मजबूत लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने की टीम का हिस्सा हैं। मंत्री ने राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण (नालसा) द्वारा शारदा यूनिवर्सिटी, नोएडा में आयोजित विधिक सेवाएं दिवस समारोह में कहा, ‘‘हम जानते हैं कि न्यायाधीश क्या काम करते हैं लेकिन कई लोग न्यायाधीश के जीवन को नहीं समझते हैं। सोशल मीडिया पर कुछ अप्रिय टिप्पणी की जा रही है, जब आप करीब से देखेंगे कि न्यायाधीशों को कितना अधिक काम करना पड़ता है, तो हमारे जैसे लोगों के लिए उसे समझना मुश्किल होगा।”

    उन्होंने कहा, ‘‘हम सार्वजनिक जीवन से हैं, हम खुले हैं। न्यायाधीश खुले नहीं हो सकते। उनके लिए अपनी परंपरागत ड्यूटी से बाहर आना और कानूनी सलाह देना आसान नहीं है।” मंत्री ने कहा कि विधायिका और न्यायपालिका, दोनों ही यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोगों को महज न्यूनतम न्याय के लिए संघर्ष नहीं करना पड़े। उन्होंने चार करोड़ मामलों के निचली अदालतों में लंबित रहने का जिक्र करते हुए कहा कि निचली न्यायपालिका एक ऐसी जगह है जहां इस सम सबसे अधिक जोर दिये जाने की जरूरत है। 

    वहीं, इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने कहा, ‘‘विधिक सेवाएं प्राधिकारों की प्रगति के प्रति हमारे कानून मंत्री के व्यक्तिगत झुकाव को देख कर खुश हूं।” उन्होंने उम्मीद जताई कि विधिक सेवाएं प्राधिकारों की प्रगति में अड़चनों को कानून मंत्री के नेतृत्व के तहत दूर किया जाएगा। (एजेंसी)