नई दिल्ली: भारत और भारतीय सेना पर हुए आतंकी हमलों को लेकर बात की जाएगी तो उसमे उरी हमले (URI Terrorist Attack) को सबसे प्रमुखता से याद किया जाएगा। आज ही दिन 18 सितम्बर 2016 को जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के उरी सेक्टर में आतंकवादियों द्वारा भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर हमला किया गया था। जिसमें सेना के 19 जवान शहीद हो गए थे। आतंकवादियो ने घटना को उस वक्त अंजाम दिया था जब सेना के जवान अपने रूम में आराम कर रहे थे। वहीं सेना की ओर से की गई जवाबी करवाई में सभी चारों आतंकी मारे गए थे। इस हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद का हाथ बताया गया था।
क्या हुआ था उरी कैम्प में
जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) के चार आतंकवादियों ने सुबह के 5.30 बजे जम्मू-कश्मीर के उरी कैंप में सेना के हेडक्वार्टर पर हमला कर दिया। हमला कितना भयानक था आप इसी से अंदाजा लगा सकते है कि मात्र 3 मिनट में आतंकियों ने 17 हैंड ग्रेनेड फेंके। इस हमले में सेना 18 जवान शहीद हो गए। सेना के साथ के साथ आतंकवादियों की 6 घंटे तक भयानक मुठभेड़ हुई और अंत में चारों आतंकी मारे गए। यह भारतीय सेना (Indian Army) पर किया गया 20 सालों में सबसे बड़ा आतंकी हमला था।
18 शहीद जवानों के नाम
- सूबेदार करनैल सिंह-शिबू चाक गांव, जिला जम्मू, जम्मू कश्मीर
- हवलदार रवि पॉल, सांबा, जम्मू, जम्मू कश्मीर
- सिपाही राकेश सिंह, बाड्डजा गांव, कैमूर, बिहार
- सिपाही जावरा मुंडा, मेरल गांव, खूंटी, झारखंड
- सिपाही नाइमन कुजूर, गुमला, गुमला जिला, झारखंड
- सिपाही यूआइक जानेराव, नंदगांव, गांव, अमरावती, महाराष्ट्र
- हवलदार एनएस रावत, राजवा गांव, राजसमंद, राजस्थान
- सिपाही गणेश शंकर, घूरापल्ली गांव, संत कबीर नगर, उत्तर प्रदेश
- नायक एसके विद्यार्थी, बोकनारी गांव, गया, बिहार
- सिपाही बिश्वजीत घोराई, गंगा सागर, दक्षिण 24 परगना, पश्चिम बंगाल
- लांस नायक जी शंकर, जैसी गांव, सतारा, महाराष्ट्र
- सिपाही जी दलाई, जमुना बलिया, हावड़ा जिला, पश्चिम बंगाल
- लांस नायक आरके यादव, बलिया, जिला बलिया, उत्तर प्रदेश
- सिपाही हरिंदर यादव, गाजीपुर, जिला गाजीपुर, उत्तर प्रदेश
- सिपाही टीएस सोमनाथ, खादांगली गांव, नाशिक, महाराष्ट्र
- हवलदार अशोक कुमार सिंह, राकटू टोला गांव, भोजपुर, बिहार
- सिपाही राजेश कुमार सिंह, जौनपुर, जिला जौनपुर, उत्तर प्रदेश
- सिपाही विकास जर्नादन, पुराद गांव यवतमाल जिला, महाराष्ट्र
देश मांगे बदला
सोते सैनिकों पर पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा किए हमले से देश में बेहद गुस्से का माहौल था। आम से लेकर खास तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान को सबक सिखाने की मांग करने लगे। देशभर में पाकिस्तान के विरोध में मोर्चा और धरने दिए गए। सभी देशवासी एक सुर में पाकिस्तान से बदला लेने की मांग करने लगे। इसी के साथ पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने और उसके साथ सभी तरह के रिश्ते को समाप्त करने की भी मांग देश ने की।
कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी
देश के जवानों पर पाकिस्तानी आतंकियों किए कायराना हमले से देश में बेहद गुस्से का माहौल था। वहीं अपने जवानों के शहीद होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी थी। उन्होंने केरल में लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि, “देश अपने जवानों की कुर्बानी नहीं भूलेगा और न ही कुर्बानी बेकार जाएगी।” इसी के साथ उन्होंने कहा, “मैं राष्ट्र को भरोसा देता हूं कि इस कायरतापूर्ण हमले के पीछे जो भी लोग हैं उन्हें सज़ा ज़रूर मिलेगी।”
सर्जिकल स्ट्राइक कर लिया बदला
उरी हमले के ठीक 10 दिन बाद यानि 28-29 सितंबर को भारतीय सेना (Indian Army) ने पाकिस्तान (pakistan) में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक (surgical strike) को अंजाम दिया। सेना के द्वारा ये पहला मौका था जब आतंकियों के खिलाफ दुश्मन के घर में घुसकर किसी ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इस ऑपरेशन में सेना के 150 कमांडोज शामिल थे। सेना के जवान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में पूरी प्लानिंग के साथ 3 किलोमीटर अंदर घुसे और आतंकियों के ठिकानों को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया।
38 आतंकवादियों को मार गिराया
स्पेशल कमांडोज पीओके में पूरी प्लानिंग के साथ घुसे थे। जवानों ने पीओके में पल रहे आतंकियों के कुल 6 कैंपों का धव्सत करने लक्ष्य रखा था। वहीं हमले के दौरान इनमें से 3 कैंपों को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया गया। इस हमले में सेना ने 38 आतंकवादियों को मार गिराया गया। इसके अलावा पाक सेना के 2 जवान भी मारे गए थे। वहीं इस ऑपरेशन में भारतीय पैरा कमांडोज के दो जवान पूरी तरह से घायल हो गए थे। सेना ने ये ऑपरेशन रात 12.30 बजे से शुरू किया और सुबह 4.30 बजे खत्म किया था।
सेना मुख्यालय से ऑपरेशन पर हुई थी निगरानी
ऑपरेशन के बारे में किसी पता न चले उसके लिए डिनर पार्टी रखा गया था। लेकिन उस समय के तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar), NSA अजित डोभाल (AJIT DOVAL) और तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग डिनर में जाने की बजाय ये तीनों रात 8 बजे सीधे सेना मुख्यालय में पहुंच गए। जहां से उन्होंने पूरी रात सेना द्वारा की जा रही कार्रवाई पर बारीकी से नजर रखे हुए थे। वहीं इस ऑपरेशन की जानकारी लगातार प्रधानमंत्री मोदी (PM MODI) को भी दी जा रही थी।