नई दिल्ली. जहाँ एक तरफ किसी IAS के घर पर काली कमाई के चलते ED की रेड पड़ती है। तो किसी IAS ऑफिसर द्वारा अपने कुत्ते को सैर कराने के लिए पूरा स्टेडियम खाली कराने वाले नेगेटिव कहाब्रों के बीच अब एक ऐसी महिला IAS अधिकारी की तस्वीरें सामने आई हैं जो बाढ़ से प्रभावित लोगों तक पहुंचने के लिए खुद भी कीचड़ में घुसने से जरा भी नहीं हिचकिचाती हैं।
बात हो रही है असम के कछार जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी कीर्ति जल्ली (Keerthi Jalli) की, जिनकी तस्वीरें अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रही हैं। इतना ही नहीं सोशल मीडिया में तमाम लोग इन महिला उपायुक्त की बाढ़ प्रभावित लोगों तक पहुंचने के लिए जमकर प्रशंसा भी कर रहे हैं।
साड़ी पहन कीचड़ में घुसने वाली IAS कीर्ति जल्ली
दरअसल असम का कछार जिला हाल ही में आई बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक है। इस जिले भर के 259 राहत शिविरों में अब भी 54,000 से अधिक लोग शरण लिए हुए हैं। ऐसे में DCकीर्ति जल्ली ने बुधवार को बोरखोला विकास खंड और अन्य हिस्सों के तहत विभिन्न बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था।
Pic: Twitterतस्वीरों में उन्हें उन्हें साड़ी पहने कीचड़ भरे इलाकों में घूमते हुए देखा जा सकता है। यह सभी तस्वीरें और वीडियो शुरू में जिला प्रशासन के फेसबुक पेज पर साझा किए गए थे। इन तस्वीरों में साफ़ देखा जा सकता है कि IAS अधिकारी कीर्ति जल्ली लोगों के बीच जाकर उनकी जरुरी समस्याएं सुन रही हैं। वे खुद भी कीचड़ में चल रही हैं। ऐसे में लोग कीर्ति जल्ली की तस्वीरें शेयर कर उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं और कह रहे हैं कि ‘ऐसे होते हैं देश के कर्मठ IAS अधिकारी।’
अपने इन दौरों के बारे में IAS अधिकारी कीर्ति जल्ली ने बताया,”स्थानीय लोगों ने कहा कि वे पिछले 50 वर्षों से एक ही समस्या का सामना कर रहे हैं और हमने सोचा कि हमें वहां जाने और वास्तविक मुद्दों को देखने की जरूरत है। और उसके लिए सबसे अच्छा समय बाढ़ के दौरान ही होता है।”
पहली बार बड़ा अधिकारी पहुंचा गांव
इस मामले पर स्थानीय लोगों ने खुश होते हुए बताया कि यह पहला मौका है जब जिले के उपायुक्त उनके गांवों का दौरा कर रहे हैं। इना ही नहीं उपायुक्त कीर्ति जल्ली ने कहा कि वे गांवों की सुरक्षा पर जोर देने जा रही हैं ताकि भविष्य में बाढ़ के नुकसान को कम किया जा सके।
गौरतलब है कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, कछार के अनुसार, इस वर्ष 291 गांवों में 163,000 से अधिक लोग बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। वहीं अकेले कछार में 11,200 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, जबकि 5,915 हेक्टेयर फसल क्षेत्र पूरी तरह से जलमग्न है।