Photo: Instagram
Photo: Instagram

    Loading

    मुंबई: बीमारियों से खुद को बचाने के लिए लोग न जाने कितना कुछ करते हैं। एक अच्छा आहार लेते हैं, अपनी दिनचर्या में कई तरह के बदलाव लाते हैं और साथ ही लोग योग का भी सहारा लेते हैं। योग हमारे जीवन के लिए जरूरी है, हर किसी को योग करना चाहिए। वहीं, कोरोना काल में तो योग की उपयोगिता काफी बढ़ गई है। कोविड से ठीक होने में भी योग की मदद से कई लोगों को लाभ मिला। हर साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून (International Yoga Day 21 June) को मनाया जाता है, और इस बार भी इस दिन का इंतजार हर किसी को बेसब्री से है। इस दिन लोग सुबह से ही योग करते हैं। 21 जून 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था। सिनेमा और टीवी जगत में सितारों के लिए फिट रहना जरूरत भी है और मजबूरी भी। ऐसे में कंगना ने बताया था कि किस तरह योग की मदद से उनकी मां की हार्ट सर्जरी टल गई थी। इसके बाद कंगना ने बताया है कि योग से किस तरह उनकी एसिड अटैक सर्वाइवर बड़ी बहन रंगोली को फायदा हुआ।

    कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने कहा, ”रंगोली की योग कहानी सबसे ज्याद प्रेरित करने वाली है। 21 साल की उम्र मं एक सड़क छाप रोमियो ने रंगोली पर एसिड फेंक दिया था। वह थर्ड डिग्री जल गई। उसका आधा चेहरा जल गया था, एक आंख की रोशनी चली गई थी, कान पिघल गया था, ब्रेस्ट को गंभीर रूप से नुकसान हुआ था। 2-3 साल में रंगोली को 53 सर्जरी से गुजरना पड़ा। लेकिन रंगोली का मानसिक स्वास्थ्य मेरी सबसे बड़ी चिंता थी, क्योंकि एसिड अटैक के बाद रंगोली ने बिल्कुल बोलना बंद कर दिया था, चाहे कुछ भी हो जाए वो एक शब्द भी नहीं बोलती थी।”

    कंगना ने आगे कहा, ” एसिड अटैक के बाद मेरी बहन मानों एक दम खाली सी हो गई थी। उसकी वायु सेना के एक अधिकारी से सगाई हुई थी, लेकिन एसिड अटैक के बारे में जब उसे पता चला तो वह मेरी बहन को छोड़कर चला गया और फिर कभी नहीं लौटा। सगाई टूटने पर भी रंगोली रोई नहीं, उसकी आंखों से आंसू नहीं निकले और कुछ भी नहीं कहा। जब डॉक्टरों से बात की तो पता चला कि वह गहरे सदमे की स्थिति में है, डॉक्टरों ने इलाज किया और रंगोली को मेंटर हेल्थ के लिए दवा भी दी लेकिन उसका कोई खास असर नहीं हुआ।”

    कंगना रनौत ने आगे कहा, ”उस वक्त मैं मुश्किल से 19 साल की थी, तभी से मैं अपने शिक्षक सूर्य नारायण के साथ योग किया करती थी। लेकिन मुझे उस वक्त ये नहीं पता था कि योग से मानसिक अवसाद और सदमे में गए रोगियों को मदद मिलती है, और आंखों की रोशनी भी वापस आ सकती है। मैं ये चाहती थी कि रंगोली मेरे से बात करें, इसलिए मैं रंगोली को अपने साथ हर जगह ले जाने लगी। यहां तक की रंगोली के साथ ही योगा क्लासेज में भी ले जाने लगीं। उसने योगाभ्यास करना शुरू किया और मैंने उसमें गजब का बदलाव देखा। इसके बाद रंगोली ने न सिर्फ बात करना शुरू किया बल्कि मेरे खराब चुटकुलों का जवाब देना भी शुरू किया। उसकी एक आंख में अपनी खोई रोशनी भी वापस पा ली, योग आपके हर प्रश्न (दुख) का उत्तर है, क्या आपने इसे अभी तक मौका दिया है?”