धुलिया-नंदुरबार विधान परिषद सीट पर अमरीश पटेल जीते

  • महाविकास आघाड़ी को हराकर हासिल किए 332 वोट
  • कांग्रेस के अभिजीत पाटिल को मिले 98 वोट

Loading

धुलिया. अमरीश भाई पटेल ने विधान परिषद चुनाव में शानदार जीत हासिल की है. उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी को मात्र 98 वोट मिले हैं. वहीं पटेल को 332 वोट मिले हैं. विधानसभा चुनाव के समय पूर्व मंत्री तथा विधायक अमरीशभाई पटेल ने विधान परिषद सदस्य थे उस दौरान इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे. त्याग पत्र देने से रिक्त स्थान पर भारतीय जनता पार्टी ने उपचुनाव में उन्हें दोबारा प्रत्याशी बनाया और उन्होंने  जीत को बरकरार रखने में एक बार फिर सफलता प्राप्त की है.

कुल 434 मतदाताओं ने ने किया मताधिकार का प्रयोग 

महाराष्ट्र विधान परिषद के धुलिया-नंदुरबार स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र में कुल 437 मतदाताओं में से 434 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिसमें से पटेल को 332 वोट मिले और जीत हासिल की. कांग्रेस के अभिजीत पाटिल को 98 वोट मिले. इस चुनाव में भी 4 वोट निरस्त हुए. गुरुवार को तीन टेबलों पर मतगणना की गई मतगणना में कुछ ही मिनटों में पूर्व मंत्री अमरीश पटेल ने महाविकास आघाड़ी के प्रत्याशी अभिजीत पाटिल को धूल चटा दी.

भाजपा कार्यकर्ताओं ने मनाया जश्न

भाजपा कार्यकर्ताओं को पटेल के जीत की सूचना मिलते ही मतगणना कार्यालय के बाहर जश्न मनाया और कुछ ही क्षणों में मतगणना केंद्र पर पूर्व मंत्री तथा विधायक अमरीश भाई पटेल का कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया. इस मौके पर भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष तथा सांसद डॉ. सुभाष भामरे, जिलाध्यक्ष अनूप अग्रवाल, प्रभाकर चव्हाण, अरविंद जाधव सहित अन्य  पदाधिकारी उपस्थित थे. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अमरीश भाई पटेल ने नंदुरबार धुलिया विधान परिषद का उप-चुनाव जीता है, जो वास्तव में भाजपा ने अभिजीत पाटिल को नहीं हराया, बल्कि महा विकास आघाड़ी को हराया है. यह हार महा विकास आघाड़ी के नेता तथा राज्यमंत्री एड. के. सी. पाडवी, नंदुरबार शिवसेना नेता चंद्रकांत रघुवंशी, धुलिया कांग्रेस के विधायक कुणाल पाटिल, पूर्व विधायक अनिल गोटे व खानदेश के वजनदार नेता एकनाथराव खड़से की भी  है.

महाविकास आघाड़ी के इन नेताओं के बीच कोई आपसी तालमेल सहमति नहीं होने के कारण महाविकास आघाड़ी को सत्ता में रहते हुए भारी हार का सामना करना पड़ा है. अमरीश पटेल विधान परिषद की इस सीट से भाजपा में शामिल होते समय त्याग कर दिया था. इसलिए यह सीट जीतना भाजपा की प्रतिष्ठा का विषय था. दूसरी ओर, महाविकास आघाड़ी के तीनों दलों ने ‘शहादा’ के अभिजीत पाटिल को चुनावी मैदान में उतारकर युद्ध जीतने का दावा किया  था, लेकिन सभी दिग्गजों की राजनीति को धता बताते हुए अमरीश पटेल ने अपनी जीत की परंपरा को कायम रखा है, वहीं  बीजेपी के बागी विधायक अनिल गोटे, पूर्व मंत्री एकनाथ खड़से और कांग्रेस के नेता मंत्री शिवसेना के मंत्री भी इस सीट को बचाने में पूरी तरह से असफल रहे हैं.