ऑटोमोबाइल की ढुलाई से कार्बन फुटप्रिंट की बचत

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  • प्राइवेट सेक्टरों का रेलवे की ओर रुझान
  •  मध्य रेल का ‘नेट ज़ीरो’ कार्बन उत्सर्जन का प्रयास

भुसावल. भारतीय रेलवे पर एक नई सुबह की शुरुआत के रूप में यह अपनी ऊर्जा की जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर होने का प्रयास है, रेलवे ने 2030 तक ‘नेट ज़ीरो’ कार्बन उत्सर्जन जन परिवहन नेटवर्क प्राप्त करने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं. इस मिशन के तहत,  मध्य रेल ने समन्वय  कर मेसर्स महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी ऑटोमोबाइल कंपनियों द्वारा भारत के कुछ हिस्सों में कारों को लोड करना शुरू कर दिया है, जिससे कीमती ईंधन की बचत हुई है और कार्बन फुटप्रिंट की आय हुई है.

माल / पार्सल क्षेत्र में रेल हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए गठित व्यावसायिक विकास इकाइयों (बीडीयू) ने उद्योग और क्षेत्र दोनों के भीतर और बाहर की सामग्री के डेटा की मैपिंग की है. मेसर्स महिंद्रा एंड महिंद्रा के साथ वन टू वन मीटिंग के परिणामस्वरूप ऑटोमोबाइल का अधिक लदान हुआ. वाहनों को पहुंचाने के लिए उनकी पहली और अंतिम मील कनेक्टिविटी भी है. इस प्रकार के परिवहन से देश भर के विभिन्न शहरों में अपने संयंत्रों से डीलरों तक नवनिर्मित वाहनों को ले जाने में लगने वाले समय में कमी आयेगी.

1 रेक में 118 वाहनों की क्षमता

ऑटोमोबाइल को डेडिकेटेड रेक से ले जाया जाता है. इस तरह एक रेक में 118 वाहनों को ले जा सकता है, जबकि एक बीसीएसीबीएम रेक, नई उच्च क्षमता वाले रेलवे वैगन, लगभग 300 वाहनों को ले जा सकता है. वर्तमान में, रेलवे नई संशोधित माल (NMG) रेक और ऑटोमोबाइल ढुलाई के लिए निजी स्वामित्व वाली BCACBM रेक का उपयोग करता है. टर्नअराउंड समय को कम करने के लिए इन रेक के मूवमेंट पर बारीकी निगरानी की जा रही है और बाद में इन रेकों को अगली लोडिंग के लिए उपलब्ध करवाने से ग्राहकों की संतुष्टि हो रही  है.

ढुलाई की गति तेज होने की संभावना

महाराष्ट्र एक बड़ा ऑटोमोबाइल हब है, जहां महिंद्रा, टाटा, फोर्ड, पियागियो, बजाज आदि मुंबई, पुणे, नाशिक, नागपुर और औरंगाबाद क्षेत्रों के पास वाहनों का निर्माण कर रहे हैं. महाराष्ट्र में निर्मित ऑटोमोबाइल को देश के विभिन्न हिस्सों में ले जाने की एक विशाल क्षमता है. मेसर्स टाटा मोटर्स और अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियों के साथ बीडीयू (BDU) की बैठकें हुई हैं और परिवहन की गति तेज  होने की संभावना है. मैसर्स मारुति ने इस वित्तीय वर्ष में अपने 5 लोडिंग टर्मिनलों से नागपुर और मुंबई सहित 13 गंतव्य टर्मिनलों तक मालगाड़ियों का उपयोग करके देश भर में 1.78 लाख कारों की ढुलाई की है.

रेलवे से विदेश भेजी गई प्याज

 मध्य रेल ने जुलाई 2020 में 18 रेक में ऑटोमोबाइल की ढुलाई की है. यह लागत प्रभावी भी है. इसी तरह, मध्य रेल ने पहली बार दौड से गुड़ अल्कोहल वेस्ट से निर्मित कृषि आधारित उर्वरक (पोटाश) की ढुलाई की है. नागपुर मंडल पर बैतूल और मुलताई स्टेशनों से गेहूं लोडिंग का नया यातायात, खंडवा और पारस से मक्का, भुसावल मंडल पर चालीसगांव से भूसी( हुस्क)  मध्य रेल द्वारा लक्षित अन्य वस्तुओं में फ्लाई-ऐश, कपास इत्यादि हैं, बांग्लादेश को निर्यात सहित प्याज लोडिंग में एक क्वांटम छलांग हासिल हुई है. मध्य रेल ने ग्राहकों से एक साथ  आकर हाथ मिलाने और कार्बन फुटप्रिंट की बचत में सहयोग की अपील की है.