100 करोड़ निधि के लिए कोर्ट जाएगी BJP

  • मनपा की महासभा में पारित हुआ प्रस्ताव
  • शिवसेना नगरसेवकों ने किया विरोध

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जलगांव. तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने महानगरपालिका को शहरी विकास के लिए 100 करोड़ रुपये निधि देने की घोषणा की थी। राज्य सरकार ने निधि पर रोक लगा दी है। मनपा की सत्तासीन भाजपा अब इस निधि के लिए तथा सरकार की रोक हटाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएगी।

मनपा की आज महासभा हुई। इसमें इस संबंध में प्रस्ताव को बहुमत के आधार पर पारित भी कर लिया गया। इस प्रस्ताव पर शिवसेना ने ऐतराज जताते हुए जोरदार विरोध किया तो एमआईएम ने तटस्थ रुख अपनाया है। लगभग ढाई महीने बाद महानगर पालिका की महासभा ऑनलाइन हुई। मनपा प्रशासकीय इमारत की दूसरी मंजिल पर सवेरे 11.30 बजे सभा शुरू हुई, इसमें महापौर भारती सोनवणे, उप महापौर सुनील खड़के, आयुक्त सतीश कुलकर्णी और नगर सचिव सुनील गोराने मौजूद थे। सभा में 41 विषय रखे गये। इसमें से 12 विषय प्रशासन और 29 विषय पदाधिकारियों ने रखा।

मनपा आयुक्त का घेराव

आम सभा शुरू होने से पहले, नगरसेवक दीपमाला काले सहित भाजपा पार्षदों ने सुबह 11 बजे गणेश कॉलोनी रोड पर ख्वाजमिया दरगाह के पास सड़क पर हुए अतिक्रमण का मुद्दा उठाया और महानगर पालिका के सामने विरोध प्रदर्शन किया। अतिक्रमण हटाने में देरी क्यों हो रही है, पूछते हुए पार्षदों ने मनपा आयुक्त सतीश कुलकर्णी को घेर लिया। बड़ी समझाइश के बाद महासभा शुरू हुई।

स्थायी समिति की पूर्व सभापति शुचिता हाड़ा ने ख्वाजामिया दरगाह के पास की सड़क पर किए गए अतिक्रमण का मुद्दा उठाया और आयुक्त से आश्वासन मांगा। आयुक्त ने स्पष्ट करते हुए बताया कि इस संबंध में अतिक्रमण हटाओ दल को आदेश दे दिए गये हैं।यहां समय समय पर कार्रवाई भी की गयी। संबंधी लोगों से चर्चा कर इस पर कोई रास्ता जरूर निकाला जाएगा। इस पर शिवसेना के प्रशांत नाईक ने कहा कि सत्तासीन नगरसेवकों की समस्याएं अगर हल नहीं होतीं तो  भाजपा को सत्ता छोड़ देनी चाहिए।

चिकित्सा अधिकारियों की मानदेय वृद्धि पर आपत्ति

मनपा में अस्थायी रूप से मानदेय पर कार्यरत वैद्यकीय अधिकारियों की वेतन वृद्धि के प्रस्ताव पर शुचिता हाड़ा और विशाल त्रिपाठी ने आपत्ति जताई। विष्णु भंगाले ने कहा कि सरकारी आदेशानुसार मानदेय देना चाहिए। अंत में यह प्रस्ताव महासभा से निकाल लिया गया। इसके साथ ही नगरसेवक उज्जवला बेंडाले समेत नगरसेवकों ने यहां विभिन्न मुद्दों पर बहस की, पर असली बहस तत्कालीन सरकार द्वारा मंजूर की 100 करोड़ रुपये निधि को लेकर ही हुई। सरकार द्वारा निधि पर लगाए स्थगन को उठाने के लिए सत्तासीन भाजपा ने अदालत में जाने का प्रस्ताव मंजूर कर ही लिया। जिस पर शिवसेना ने जमकर विरोध दर्शाया।