मूलभूत सुविधाएं देने में BJP की स्थानीय सत्ता नाकाम

  • विधायक सांसद और मनपा होने के बावजूद मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे नागरिक

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जलगांव. महानगर पालिका (Jalgaon Municipal corporation) क्षेत्र में सत्ता परिवर्तन के बाद भी सड़कों की दशा नहीं बदली है, लेकिन गड्ढों को भरने में स्थानीय ठेकेदार और पार्षदों की जेबें जरूर भर गई हैं। सड़कों की मरहमपट्टी पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए और किए जा रहे हैं, बावजूद खस्ताहाल सड़कों से नागरिकों को मुक्ति नहीं मिल रही है। सरकार के धन की ठेकेदार तथा स्थानीय पार्षदों ने बंदरबांट कर रखी है और सड़कों की हालत जस की तस बनी हुई है। बीते दस वर्षों में कहीं भी नई सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। बस केवल मरम्मत पर करोड़ों खर्च हुए हैं, लेकिन लोगों को गड्ढों से मुक्ति नहीं मिली है।

जलगांव शहर (Jalgaon city) में दो वर्ष से पानी आपूर्ती योजना तहत अमृत योजना का काम चल रहा है। जो धीमी गति से चल रहा है, जिसकी समय सीमा भी पूरी होने को है। शहर के उपनगर में चला काम अब शहर के मध्य में चल रहा है। साथ ही मल-निस्सारण योजना के लिए भी बीच सड़क में खुदाई चल रही है। पर काम समाप्त होने के बाद भी सड़कों के दुरुस्त नहीं होने से लोग परेशान हैं।

जलगांव महापालिका (Jalgaon Municipal corporation) में पूर्व मंत्री विधायक गिरीश महाजन (Girish Mahajan) के नेतृत्व में भाजपा ने महानगर निगम सहित खान्देश में सत्ता हासिल की थी। ज्ञात हो कि जब 2018 में महापालिका चुनाव के लिए महाजन ने कमान संभाली थी (उस समय वे मंत्री व संकटमोचक भी थे) उन्होंने स्थानीय लोगों से अपील की थी एक बार हमें सत्ता दें, वर्ष के भीतर शहर की सड़कों की तस्वीर बदल देंगे. पर अब वे चुनाव संपन्न होकर दो वर्ष होकर शहर की हालत 2018 के पूर्व से भी बदतर हैं।

सफाई की समस्या भी गंभीर 

शहर में सफाई की समस्या गंभीर है. स्थानीय लोग महापालिका को संपत्ति कर (property tax) के रूप करोड़ों रुपए का राजस्व दे रहे हैं। फिर भी मूलभूत सुविधाओं को नागरिक तरस रहे हैं। आवश्यक नागरी सुविधा उपलब्ध करने में महापालिका प्रशासन काफी हद तक असफल रही है।

दो दिनों के अंतराल से मिल रहा पानी

पीने के पानी के लिए भी लोगों को तरसना पड़ रहा है। शहर में दो दिनों के अंतराल से पेयजल उपलब्ध करने का वादा महाजन ने किया था लेकिन उसे भी निभाया नहीं जाता। उसी बीच समस्या निर्माण होने पर तीन या चार दिनों के बाद कुछ इलाकों में जल उपलब्ध कराया जाता है।

घर के बहार कदम रखते ही नगर वासियों धूल-मिट्टी, गड्ढों वाली सड़क का सामना करना पड़ता है। शहर के मध्यवर्ती भाग से किसी भी कोने में अच्छी रोड दिखाई नहीं देती। शहर के विधायक के रूप में स्थानीय मतदाताओं ने सुरेश भोले को लागतात दो बार अवसर दिया है। उल्लेखनीय कि महापालिका में भाजपा की सत्ता आने पर विधायक भोले की पत्नी ही प्रथम महापौर बनी थी। पर शहर को कोई लाभ नहीं पहुंचा। गिरीश महाजन भी अपना आश्वासन भूल गये हैं।

महापौर भारती सोनवणे भी नाकाम

वर्तमान महापौर भारती सोनवणे भी पूरी तरह से नाकाम साबित हुई हैं। फोटोसेशन बैठकों और बयानों के अलावा कुछ खास कर नहीं कर पाई हैं। ध्यान रहे की गत दिनों शहर के रोड-रस्ते दुरुस्त करने 24 लाख रुपये खर्च हुए। जिससे गड्ढे निर्माण कार्य का पुराना मलबा और मिट्टी डाला गया था, जो बरसात में धूल चाट गया। अब करोड़ों रुपये खर्च कर गड्ढों को डामरीकरण की मरहम पट्टी लगाई जा रही हैं।