स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी के पद समाप्त, शिक्षा क्षेत्र में आक्रोश

  • शिक्षक संगठनों ने दिया तहसीलदार को ज्ञापन
  • कर्मचारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी
  • 5 हजार भत्ते पर रखे जाएंगे कर्मी

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साक्री. राज्य सरकार (State government) ने स्कूलों में सेवा दे रहे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद ही समाप्त कर दिए हैं। अब केवल 5 हजार रुपये भत्ता पर उक्त पदों को भरा जाएगा। इसी आशय का शासनादेश भी जारी किया गया है। जिसको लेकर शिक्षा क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। कार्यालयीन कर्मचारियों में इसको लेकर भारी आक्रोश फैल गया है। कार्यालयीन प्रमुख के साथ-साथ तहसील कार्यालय में जाकर भिन्न-भिन्न शिक्षक और ग़ैरशिक्षक कर्मचारियों के संगठनों ने उक्त शासनादेश के खिलाफ ज्ञापन दिए। निजी व्यवस्थापनों तथा शिक्षकों का समर्थन इस आंदोलन को मिलने से शुक्रवार को शहर तथा तहसील के स्कूलों के कार्यालयीन काम ठप रहे। वहीं स्कूलों में शिक्षकों ने काला फीता लगाकर काम जारी रखा।

वर्तमान कर्मियों के रिटायरमेंट होते ही खत्म होगा पद

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों में चपरासी से लेकर वॉचमैन, साइंस की लैबों में काम करने वाले परिचर, कामाठी, झाडूवाला, सफाई वाला आदि पदों को वर्तमान में सेवा दे रहे कर्मचारियों के रिटायरमेंट के साथ ही खत्म करने का प्रावधान है। किसी सरकारी नौकरी में मिलने वाली सुविधा और लाभ खत्म किया गया है। अमूमन हर माह 5 हजार रुपये भत्ता इन पदों पर काम करने वालों को दिया जाएंगा, जिसका वहन भी सरकार करेगी।

क्लर्क और शिक्षकों में भी खौफ

सूबे की सरकार ने विगत डेढ़ वर्ष पूर्व इन्हीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वेतन और पैटर्न का प्रारूप तैयार करने की बात की थी। विगत कुछ वर्षों से स्कूलों में सभी प्रकार के पदों की भर्ती पर सरकार ने रोक लगा रखी है। जिसके चलते भर्ती के तरीके, वेतन और पैटर्न की अपेक्षा की जा रही थी। लेकिन सरकार ने पैटर्न लाने की बजाए चतुर्थ श्रेणी के सारे पद ही बर्खास्त कर दिए। सूबे की सरकार के इस कदम ने कार्यालयीन क्लर्क जैसे कर्मी और शिक्षकों में भी खौफ पैदा कर दिया है। उनके पदों पर भी ठेकेदारी पद्धति से सरकार भर्ती करेगी या बहुत मामूली रकम पर काम करवाएगी का अंदेशा पसर गया है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की जगह पर आनेवाले कर्मी इतने कम भत्ते पर ढंग से काम नहीं हो पाएंगे। इसी के चलते इस शासनादेश का विरोध हो रहा है।

सरकारी निर्णय को तत्काल करें रद्द

सूबे के शिक्षक और गैर-शिक्षा कर्मचारी संघों ने राज्य के स्कूलों में चपरासी के पदों को लेकर जारी शासनादेश को तत्काल रद्द करने की मांग की है। यदि सरकार द्वारा इसको रद्द नहीं किया जाता है, तो संगठन तीव्र आंदोलन करेंगे और चेतावनी दी कि स्कूलों को ठेकेदारों के हाथों में देने के प्रयास सफल नहीं होने देंगे ऐसी भी चेतावनी दी है।

शिक्षा विभाग में पड़ेगा बुरा असर

संगठनों द्वारा दावा किया जा रहा है कि केवल चतुर्थ श्रेणी वर्ग की बर्खास्तगी के निर्णय का असर शिक्षा विभाग में 50 हजार पद खत्म होने पर होगा। यह तो सिर्फ शुरुवात भर है। शहर के न्यू इंग्लिश स्कूल के हेड-क्लर्क उखाजी सालुंके, संगठन के तहसीलाध्यक्ष प्रमोद देसले, उपाध्यक्ष प्रशांत पवार, सेक्रेटरी  रत्नाकर तोरवणे, सहायक एस.एन. कुवर, दिनेश चव्हाण, पंजाब अहिरराव, सिद्धार्थ मोहिते, जितेंद्र कुवर, राजेंद्र गिरासे,नाईक प्रकाश नांद्रे, भरत ठाकरे, संगीता मोहिते, संजू भील, संतोष शिवदे, किशोर शेलके,शरद सालुंके, समाधान नांद्रे आदि ने तहसील कार्यालय पहुंचकर नायब तहसीलदार डॉ. अंगद आसटकर को ज्ञापन दिया।