धार्मिक स्थलों को खोलने की मांग

Loading

मुस्लिम धर्म गुरुओं ने एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

भुसावल. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए उठाए गए एहतियाती कदमों के बीच व्यावसायिक गतिविधियां शुरू हो गई हैं, लेकिन धर्मस्थल अभी भी बंद हैं. अलबत्ता शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दे दी गई है. ऐसे में धर्मस्थलों को खोलने की मांग तेज हो गई है. कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर देशव्यापी लॉकडाउन के चौथे चरण में धीरे-धीरे व्यावसायिक गतिविधियां जोर पकड़ने लगी हैं और बाजार भी खुलने लगे हैं.

इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी निर्देशों का पालन करते हुए जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिशें चल रही हैं. राज्य में अन्य व्यवसायिक गतिविधियों के साथ शराब की दुकानें भी खोलने की अनुमति दे दी गई है  शराब दुकानों में शारीरिक दूरी का पालन करने को कहा गया है.इसी के मद्देनजर भुसावल के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सवाल उठाया है कि जब शारीरिक दूरी का पालन करते हुए शराब की दुकानें खोली जा सकती हैं तो धर्मस्थलों पर शारीरिक दूरी का पालन कर उन्हें क्यों नहीं खोला जा सकता.

धार्मिक स्थलों को बंद रखना उचित नहीं

अनुविभागीय अधिकारी भुसावल को सौंपे ज्ञापन में कहा कि तमाम धर्मों के अनुयायियों को अपने आराध्य पर आस्था होती है. यही कारण है कि सुख-दुख के समय श्रद्धालु अपने आराध्य को याद करते हैं. कोरोना महामारी है और लोग दुखी व परेशान हैं. ऐसे में धार्मिक स्थलों का बंद रहना न्यायोचित नहीं है. तहसील में धार्मिक स्थल पूरी तरह बंद हैं और लोगों ने भी इस स्थल को प्रारंभ करने की मांग प्रारंभ कर दी है.

प्रतिष्ठानों की तरह धार्मिक स्थल भी खुलें

लोगों ने अब कहना भी प्रारंभ कर दिया है कि जब सरकारें शराब दुकानों के साथ-साथ सारे व्यवसायिक प्रतिष्ठान भी प्रारंभ कर रही हैं तो धार्मिक स्थानों को ही बंद क्यों रखा गया है. इसको भी खुलने की छूट मिलनी चाहिए. भारतीय संस्कृति में दिन की शुरुआत ही शंख एवं घंटियों की आवाज तथा मंत्रों से होती है. यह सभी धर्मों के ग्रंथ भारतीय सनातन के मानने वाले लोग विभिन्न अवसरों पर नियमित रूप से ईश्वर के प्रति अपनी अपनी आस्था प्रकट करने मंदिर एवं धार्मिक स्थलों पर जाते रहते हैं.  प्रशासन से सभी धर्मों के पूजा और इबादत स्थलों को खोलने की अनुमति देने की मांग ज्ञापन सौंपकर मौलाना अब्दुल हलीम, मौलवी गुलाम सरवर, हाफिज कमरुद्दीन, सैयद नूर आलम सामाजिक कार्यकर्ता शेख पापा शेख कालू आदि ने किया है.