सुखा कर गायब किए जा रहे हरे-भरे पेड़

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साक्री. सरकारी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा एक ओर पर्यावरण (environment) की सुरक्षा के लिए वृक्षारोपण (tree planting) की मुहिम चलाई जा रही है, वहीं पुराने हरे-भरे पेड़ों को निष्प्राण करने का हथकंडा अपनाया जा रहा है। सड़क के किनारे लगाए गए पेड़ों को नियोजित ढंग से बिना किसी अनुमति के खत्म किया जा रहा है, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है।

पेड़ों को नष्ट करने वाली कोई टोली सक्रिय है। जो बड़े नियोजनबद्ध तरीके से बगैर किसी को मालूम पड़े पेड़ों को सुखा देती है और उसको नष्ट भी फौरी तौर पर कर देती है। नेशनल हाइवे से लेकर कच्चे रास्तों तक के साइड में लगे पेड़ों पर आफत आती रहती है। लेकिन उक्त पेड़ों की सुरक्षा जिनके जिम्मे है, ऐसे फारेस्ट (वन विभाग), नेशनल हाईवे और स्थानीय सरकारी एजेंसियों को पेड़ों के ऐसे नष्ट होने की खबर तक नहीं होने पाती और पेड़ गायब हो जाते हैं। गायब पेड़ों की जगह नया पौधारोपण भी नहीं होता और ना ही संबंधित विभागों को गायब पेड़ का खालीपन खलता है।

गहरी नींद में पर्यावरण प्रेमी  

यह समस्या किसी एक गांव-चौराहे से जुड़ी नहीं है। सड़क के किनारे देखते हुए कहीं भी किसी भी दिशा में निकल जाएं, यह नजारा देखने को जरूर मिलेगा। ना जाने कितने ही वर्षों से पेड़ों को नष्ट करने का यह गोरखधंधा चल रहा है।लेकिन सरकारी एजेंसियों से लेकर पर्यावरण प्रेमियों को भी इस विषय पर ध्यान देने की जरूरत महसूस नहीं हुई है।

पहले निकाली जाती है तने की छाल

किसी हरे-भरे पेड़ को नष्ट करने के पहले सुरक्षित तरीके से योजना बना ली जाती है। जैसे दो पेड़ नजदीक हों, निकट कोई बस्ती ना हो और पेड़ से पर्याप्त फायदा भी हो। पेड़ के तने से छाल खुरच ली जाती है। अगर बस्ती के निकटवाला पेड़ है तो थोड़ी-थोड़ी छाल खुरची जाती है। पेड़ के तने के सभी ओर से छाल निकाल देने से कुछ ही दिनों में पेड़ धीरे-धीरे सूखने लगता है और ऐसा सूखे पेड़ को काट कर ले जाने को किसी की मनाही या आपत्ति भी नहीं होती। जिन्हें आपत्ति होती है उनको जानकारी नहीं होती।

पेड़ों के दुश्मन की टोली सक्रिय

दूसरा तरीका है, पेड़ को खुरच कर उसके तने में गड्ढा बनाना। जमीन से सटे हुए तने को सभी ओर से खोखला बनाना और बाद में खोखले गड्ढे में आग लगा देना। तना भीतर से जल जाता है और पेड़ की मृत्यु हो जाती है। या तो पेड़ गिर जाता है या आसानी से तोड़ा जाता है। पेड़ों को बचाना जरूरी है। सरकारी विभाग ही नहीं, गैर-सरकारी संगठन और आम लोग भी इस पर ध्यान दें।लेकिन सबसे पहले ऐसे कोई तत्व हैं जो हरेभरे और पूर्ण विकसित पेड़ों को नष्ट करने पर जुटे हैं। यह कोई व्यक्ति होगा, कोई टोली होगी, इसका संज्ञान लेना जरूरी है। इस पर प्रतिबंध लगने हेतु कोई कारगर योजना को लाना जरूरी हो गया है।