खड़से, गुलाब राव पाटिल और कंडारे घोटाले के लिए जिम्मेदार!

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-वाहिद काकर

जलगांव.  जलगांव जिला जागृत जनमंच के शिवराम पाटिल ने BHR घोटाले मामले में पूर्व मंत्री एकनाथराव खड़से पर उदासीनता बरतने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि पूर्व मंत्री एकनाथ खड़से ने BHR मामले में दोषी लोगों और अत्यधिक दरों पर संपत्ति खरीदने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की पहल की है।

जब खड़से पालकमंत्री थे तब वह इस मामले चुप क्यों थे

तत्कालीन सरकार में खड़से पालक मंत्री थे तब वह इस मामले चुप थे। अगर उस समय खड़से इतनी मुस्तैदी दिखाते तो कंडारे में इतनी हिम्मत न होती और आज इतने घोटाले नहीं होते। इसलिए घोटालों के लिए कंडारे और तत्कालीन सहकार राज्यमंत्री गुलाबराव पाटिल भी जिम्मेदार होने का आरोप लगाया है।

BHR में जितेंद्र कंडारे को नियुक्त करने की सिफारिश तत्कालीन पालकमंत्री एकनाथ खड़से और सहकार राज्य मंत्री गुलाबराव पाटिल ने ही की थी। खड़से जब पालकमंत्री थे तब निवेशक अपनी समस्या लेकर खड़से के पास जाते थे। तब खड़से उन्हें कहते थे कि बीएचआर में पैसा रखते समय क्या उनसे पूछकर रखा गया था। खड़से का जवाब सुनकर जमाकर्ताओं पर क्या गुजरी होगी? खड़से भूल गये  आज वह राजनीति करने लिए बीएचआर घोटाला उठा रहे हैं। इस प्रकार का हमला शिवराम पाटिल ने खड़से पर किया।

शिवराम ने सनसनी खेज आरोप लगाते हुए कहा कि बीएचआर की संपत्ति का निपटारा करने के लिए कंडारे ने जिलाधिकारी की ओर रिपोर्ट भेजी थी। तब खड़से पालकमंत्री भी थे। इसलिए तबसे लेकर आज तक के सारे पालकमंत्री इस घोटाले के जिम्मेदार हैं।

अंधेरे में तीर दाग रहे खड़से

शिवराम ने कहा कि खड़से को ऐसे अंधेरे में तीर दागना नहीं चाहिए। उन्होंने इस घोटाले में जो लोग शामिल हैं उनके नाम जनता के आमने  उजागर करें। खड़से अगर सच में वास्तविक रूप से  जमाकर्ताओं के हितकारी हैं तो उनका पैसा उन्हें दिलवाने के लिए प्रयास करें अन्यथा बेवजह राजनीति नहीं करने की सलाह भी पाटिल ने खड़से को दे डाली।

सहकार कानून के अनुसार BHR में गबन या धोखाधड़ी सामने आयी हो तो पैसा वसूलने के लिए अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं है। यदि दीवानी मामला, फौजदारी मामला बनता है तो गुनाह दाखिल होकर दोषियों को दंडित किया जाता है, लेकिन पतसंस्था में निवेश किया पैसा वापस नहीं मिलता। इसलिए निवेशकों और जमाकर्ताओं को पैसा प्रदान करने के लिए कानून में प्रावधान करने पर सबसे पहले राजनेताओं ने जोर देना चाहिए। ऐसा भी पाटिल ने कहा.

पाटिल का कहना है कि कंडारे यह सहकारिता विभाग का अधिकारी था। खड़से के बाद गुलाबराव पाटिल सहकारिता राज्यमंत्री बने। इसके बावजूद कंडारे धोखाधड़ी करता ही रहा तो सहकार राज्यमंत्री क्या कर रहे थे? क्या वे केवल अवैध रेत, ईंट, मिटटी का धंधा करने वाले तस्करों को ही संभालने के काम में व्यस्त थे? पिछले दस वर्षों से शहर की सड़कें कब्रिस्तान बन गई हैं। इस पर किसी का ध्यान नहीं। रेत तस्करों के साथ तहसीलदार, अधिकारियों की मिलीभगत की बातें सामने आ रही है। गौण खनिज परमिट की नकली रसीदों का उपयोग करके सरकारी राजस्व को बर्बाद किया जा रहा है। जिला परिषद में कागज पर 50 प्रतिशत विकासात्मक काम दिखाकर निधि का गबन किया जा रहा है। कपास गिनती में आठ प्रतिशत की कटौती करके किसानों को लूटा जा रहा है। इस ओर भी नेताओं ने ध्यान देने की बात शिवराम पाटिल ने की है।