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  • इच्छुक उम्मीदवार बांट रहे दिवाली शुभकामना कार्ड
  • अपनी उम्मीदवारी का कर रहे ऐलान

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साक्री. शहर की नगर पंचायत के चुनाव सिर पर हैं और दीपावली भी कल है. ऐसे में राजस्व विभाग भी सीटों के आरक्षण की घोषणा कर दी है. शहर में चुनाव की प्रतीक्षा में तैयार बैठे इच्छुक उम्मीदवारों की रणनीतियां तेज हो गयी हैं. इसी रणनीति के तहत दीपावली का मौका भांप कर ये संभाव्य उम्मीदवार हाल ही में घोषित सीटों के आरक्षण के मद्देनजर अपने संभाव्य मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं. मतदाताओं को घर-घर जा कर दीपावली शुभकामना संदेश के चमकीले-रंगबिरंगे कार्ड बांटे जा रहे हैं.

हलांकि अभी चुनाव कार्यक्रम की घोषणा भी नहीं हुई है. किंतु चुनाव पूर्व सीटों का आरक्षण, वार्ड रचना और प्रारूप की घोषणा, उस पर नागरिकों की आपत्ति का समाधान आदि औपचारिक काम चल रहे हैं. चुनाव के इस आहट ने हर इच्छुक व्यक्ति के लिए उम्मीदवारी हेतु प्रयास, आजमाइश और आशा  की किरण के द्वार खोल दिए हैं और सरगर्मियां बढ़ा दी हैं.

ग्रीटिंग कार्ड का थमा शुभकामनाओं का दौर

वैसे तो एक जमाना था, जब हर व्यक्ति त्योहार के मौके पर अपने मित्रों-परिजनों को ऐसे शुभकामना कार्ड डाक से भेजते थे. मोबाइल की डिजिटल दुनिया ने उक्त परंपरा को बदल दिया है. व्यक्तिगत शुभकामना कार्ड का प्रचलन थम गया, परंतु कंपनियों और कार्यालयों द्वारा अपने ग्राहक औऱ हितैषियों को भेजना कुछ दिन चला. अब देखा जा रहा है कि वे भी डिजिटल शुभकामनाओं से अपना काम चलाते हैं. ग्रीटिंग कार्ड से शुभकामनाएं देना लगभग थम गया है. लेकिन मतदाताओं  के लिए और उनको रिझाने हेतु क्या नहीं किया जा सकता ? बीते वक्त में काल के गर्त में समा गई इस विधा का पुनर्जन्म किया जा रहा है. जिसके जरिए उम्मीदवारी की मंशा अपने नेता या पार्टी की नजर में लाने का नायाब तरीका ढूंढा गया है. चुनाव में पहली बार उम्मीदवारी करने की चाह रखनेवाले इस दौड़ में शामिल हुए हैं.

मतदाताओं को रिझाने का नायाब तरीका

अपनी खास भाव-भंगिमा और खास चुनाव के लिए खिंचवाई रौबदार छवि को अपने सभी गुणों, पदों जनहित में किए कामों का वर्णन करते हुए, अपने प्रतिष्ठान या विशिष्ट योग्यता का बखान धरे इस कार्ड में मतदाता के चिरकल्याण की कामना करती हुई विनम्र लाइनें छपी होती हैं. मतदाता माईबाप और उसके परिवार को अपने पक्ष में भाव-विभोर करने के सभी हथकंडे मधुर भाषा के प्रयोग द्वारा किए जा रहे हैं.

कार्ड भी भेज रहे हैं और अपने प्रयत्नों में कमी नहीं दिखना चाहिए, इसलिए डिजिटल सोशल मीडिया, व्हाट्सअप जैसे साधनों द्वारा भी शुभकामनाएं प्रेषित की जा रही हैं. इच्छुक उम्मीदवार जिससे पहचान नहीं, कभी वास्ता नहीं पड़ा और दुआ-सलाम तक नहीं हुई उसकी ओर से शुभकामनाओं भरा कार्ड मिलने से मतदाता भी भौचक्के हैं. समय की नजाकत का लुत्फ उठा रहा है.

“जिन मतदाताओं के पास जल्दी ही मत मांगने जाना है, उनका शुभ चिंतन क्यों नहीं किया जाना चाहिए? वैसे भी उम्मीदवार मतदाता से पहले ना भी मिले तो क्या, इसी बहाने भेंट तो होगी ही और मतदाता-क्षेत्र की पहचान भी हो जाएगी. शुभकामना व्यक्त करने की हमारी परंपरा भी तो है!”

-बापूसाहेब गीते, राजनीतिक कार्यकर्ता, साक्री शहर