जिला परिषद की बैठक में गूंजा लापरवाही का मुद्दा

  • ग्राम पंचायत विभाग पर सदस्यों ने साधा निशाना
  • 1965 से अब तक ग्राम पंचायतों से नहीं वसूला गया कर्ज
  • 11 करोड़ रुपए कर्ज बकाया

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जलगांव. जिले की ग्राम पंचायतों से डीवीडीएफ ऋण पिछले कुछ वर्षों से वसूल नहीं किया गया। इसकी वजह से 11 करोड़ रुपये बकाया है। इसके अलावा, गबन राशि की वसूली के लिए ग्राम पंचायतों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। 14 वें वित्त आयोग की शिकायतें भी नहीं सुलझाई गयीं। इन सभी विषयों को लेकर जिला परिषद स्थायी समिति की एक बैठक हुई। इस बैठक में सदस्यों ने ग्राम पंचायत विभाग की लापरवाही के मुद्दे उठाये और इस विभाग को निशाना बनाया।

जिला परिषद स्थायी समिति की बैठक कई दिनों की प्रतीक्षा के बाद हुई। बैठक की अध्यक्षता रंजना पाटिल ने की। इस समय उपाध्यक्ष लालचंद पाटिल, सभापति ज्योति पाटिल, सीईओ डॉ बी एन पाटिल, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी गणेश चौधरी, उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी कमलाकर रणदिवे और  सदस्य उपस्थित थे।

आखिर क्या कर रहा था विभाग

कोरोना के चलते अब तक जिला परिषद का सारा कामकाज ऑनलाइन शुरू था। लेकिन सदस्यों की मांग पर स्थायी की बैठक सभागृह में आयोजित की गई। इस बैठक में, सदस्यों ने ग्राम पंचायत विभाग को निशाने पर लिया और कई मुद्दे उछालकर इस विभाग की लापरवाही पर गहरा रोष भी जताया। 1965 से अब तक ग्राम पंचायतों को दिए गए ऋण की वसूली नहीं की जा सकी। सदस्यों ने सवाल उठाया कि यह विभाग क्या कर रहा है? ग्राम पंचायतों में हुए गबन की राशि वसूली जानी चाहिए। यह वसूली भी नहीं हुई।अधिकारी और ग्रामसेवकों को इस विभाग ने खुली छूट देने का आरोप भी सदस्यों ने लगाया।कम से कम पिछले 10 से 15 वर्षों की कर्ज वसूली तो अब तक होनी चाहिए थी। नहीं हुई है तो उसे तत्काल वसूल करें।

जांच के बाद नोटिस तलब करने का आदेश

बीडीओ वायल के खिलाफ गुनाह दर्ज होते ही कर्मचारियों ने आंदोलन ना करते हुये सीधा पंचायत समिति को ताला लगाया। कुछ सदस्यों द्वारा यह मुद्दा उठाते ही इस पर जोरदार बहस शुरू हो गयी।इसलिए सीईओ ने तत्काल जांच कर नोटिस तलब करने का आदेश भी दे दिया।

पिछले साल की निधि अभी तक खर्च नहीं

जिला परिषद ने पिछले साल की निधि अभी तक खर्च नहीं की। इससे क्षेत्र के विकास कार्य बंद पड़े हैं। इसके अलावा कई कामों को प्रशासनिक मान्यता भी नहीं मिली। यदि निधि खर्च नहीं की गई तो वह वापस चली जाएगी। यह निधि खर्च करने के लिए तत्काल योजना बनाई जानी चाहिए।अगले पंद्रह दिनों के भीतर कामकाज होने की दृष्टि से स्वतंत्र टेंडर कक्ष स्थापित हो। सदस्यों का कहना है कि ग्राम पंचायत विभाग की लापरवाही से विकास कार्य लटके पड़े हैं। इस विभाग को सक्रियता दिखाने की जरूरत है।