सोयाबीन के नाम से बिक रहा पाम ऑयल

  • दिवाली के मौके पर खाद्य तेलों में धड़ल्ले से हो रही मिलावट
  • फूड एंड ड्रग विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल
  • 90 रु. प्रति किलो तक बिक रहा सोयाबीन

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जलगांव. शहर में खुलेआम घटिया स्तर का पाम ऑयल अलग-अलग ब्रांड, पैकिंग के नाम से बेचा रहा है. हैरत की बात यह कि इसी पाम ऑयल को कई लोग सोया, रिफाइंड और दूसरे नामों से भी बेच रहे हैं. तेल की क्वालिटी एक ही है लेकिन उस पर लेबल अलग-अलग लगाकर खुली टंकियों में बड़े स्तर पर बिक्री की जा रही है. खुलेआम बिकने के बावजूद जिले में जिम्मेदार लोग आंखें मूंदे हुए हैं.  जिस कारण लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

त्योहार बने रुपए कमाने के अवसर

त्योहार हमारे लिए खुशियां और ऊर्जा लेकर आते हैं. हमारी इसी श्रद्धा और भावनाओं के पर्व कई किस्म के माफियाओं के लिए रुपये कमाने के नए अवसर बन जाते हैं. ज़िले की जामनेर तहसील में इन दिनों कुछ ऐसा ही देखा जा सकता है. करीब 4 लाख की आबादी वाली तहसील में एक समय ऐसा था कि पाचोरा और एरंडोल की ऑइल मिलों से शुद्ध खाद्य तेल लाया जाता था.

कारखाने बंद, फिर कहां से आ रहा तेल

वर्तमान में इन तेल मिलों की स्थिति क्या है. यह सब जानते हैं कि लगभग सभी तेल कारखाने बंद हो गए हैं. बावजूद इसके जिले में हजारों लीटर के तेल के टैंकर आ तो रहे हैं, पर आखिर कहां से इसका कोई अता-पता नहीं हैं. महंगाई के कारण मूंगफली का तेल रसोई से कब का गायब हो चुका है. उसकी जगह सोयाबीन ने ले लिया है, जो 90 रु प्रति किलो तक बिक रहा है. ग्रामीण समाज में किसी खुदरा चीजों की खरीदारी के पक्के बिल मांगने का या देने का कोई रिवाज कभी रहा नहीं भले ही GST समेत अन्य तमाम टैक्सेस की कागजी खानापूर्ति जैसी-तैसी की जा रही हो और उसमें घपला कर करोड़ों रुपये कमाया जा रहा है.

सोयाबीन की पैदावार और तेल उत्पादन में अंतर

सोयाबीन की पैदावार और तेल का उत्पाद इसमें काफी अंतर है. बावजूद इसके ग्राहकों को माकूल तरीके से सोयाबीन ऑइल मिल रहा है. बगैर मिलावट या फिर किसी विकल्प के तो यह संभव नहीं हो सकता. इन सभी चीजों पर निगरानी रखने के लिए सरकार में फूड एंड ड्रग नाम का एक मंत्रालय होता है जो मिलावट खोरी के खिलाफ ग्राहक संरक्षण कर्तव्य निर्वहन के लिए प्रतिबद्ध होकर त्योहारों के पहले अपनी आंखें खोलता है. इस बार प्रशासन ने अपनी आंखें कुछ इस तरह मूंद ली है कि मानों लग रहा है कि फूड एंड ड्रग नाम का कोई सरकारी विभाग है भी या नहीं. उसकी निष्क्रियता से लोग विभाग को भूल गए हैं.

पामतेल को फ़िल्टर कर सोयाबीन के नाम पर बेचा जा रहा है. इस पूरे मिलावट सिस्टम की सघन जांच के लिए बिना किसी शिकायत की राह ताकते हुए फूड एंड ड्रग विभाग द्वारा अभियान चलाने की आवश्यकता है.

-सुनील पाटिल, ग्राहक