सड़कें खस्ताहाल, गांव वाले करेंगे जनप्रतिनिधियों का विरोध

  • प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से आक्रोश

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जलगांव. रावेर और यावल तहसील की सड़कें खस्ताहाल हो गयी हैं। प्रशासन और लोक प्रतिनिधियों की लापरवाही से बद से बदहाल हुई सड़कों से वाहन चलाना ही नहीं बल्कि पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। क्षेत्र की गंभीर हुई इस समस्या की ओर क्षेत्र के मंत्री, सांसद, विधायक और अधिकारियों का ध्यान नहीं है। गड्ढों में तब्दील हुईं सड़कों को लेकर लोगों ने कई बार शिकायतें कीं, पर जन प्रतिनिधि भी अनदेखी कर रहे हैं, इसका क्षेत्र के विकास पर बड़ा असर हुआ है।

कई वर्षों से सड़कों की मरम्मत नहीं

रावेर और यावल तहसील के गांवों में जानेवाली सारी सड़कें खस्ताहाल हैं। बरसों से सड़कों का काम नहीं हुआ है।जहां हुआ, वहां का काम ठीक से नहीं हुआ। इलाके की सड़कों की किसी ने मजबूत करने पर ध्यान ही नहीं दिया, जिससे सारी सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गयी हैं। इन सड़कों से किसानों को रात दिन आना-जाना पड़ता है।

ग्रामीणों ने लिया आंदोलन का निर्णय

मजदूर, महिला, बच्चे और खासतौर से बीमार और गर्भवती महिलाओं को इन सड़कों से लाते-ले जाते समय लोगों को बड़ी दिक्कतों  का सामना करना पड़ता है। क्षेत्र की सड़कों की हालत नहीं सुधारी गयी तो जोरदार जनांदोलन करने का निर्णय भी ग्रामीणों ने लिया है। रावेर और यावल तहसीलों के गांवों के ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि संबंधित निर्माण विभाग के इंजीनियर, अधिकारी, विधायक और सांसद इसके बारे में जानते हुए भी पूरी तरह से सड़कों की ओर अनदेखी कर रहे हैं।

समस्याओं को लेकर अधिकारी-पदाधिकारी गंभीर नहीं

संबंधित अधिकारी और पदाधिकारी भी समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं हैं।अधिकारी कोरोना महामारी के संकट को बताते हुए समय बर्बाद कर रहे हैं और ग्रामीणों की जान से खेल रहे हैं। यह ऐसा कब तक चलेगा ऐसा सवाल करते हुए लोग बड़े पैमाने पर आंदोलन की तैयारियों में लग गये हैं।  

तहसीलों के कलमोदा, खिरोदा, आभोड़ा, मांगरुल, सावखेड़ा, लोहारा, न्हावी से हिंगोना, विरावली से चुनचाले, सावखेड़ा सिम, मालोद, हंबर्डी, मारूल, बोरखेड़ा, तिड़या, अंधारमली, मोहमाडी, निमड्या, गारखेड़ा, क़ुसुम्बा से रावेर, मूंजलबाड़ी से रमजीपुरा, वढोदा से विरावली, पाल से गारखेड़ा ऐसे सारे गांवों की सड़कों की हालत एक जैसी है।

नेताओं और अधिकारियों को गांवों में घुसने नहीं देंगे

आए दिन यहां से सांसद, विधायक, मंत्री, जिला परिषद, पंचायत समिति के अधिकारी पदाधिकारी और लोक निर्माण विभाग की गाड़ियां भी गुजरती हैं, पर यह समस्या हल करने की पहल कहीं से भी होती नजर नहीं आ रही है। ये सड़कें पक्की होकर तत्काल डामरीकरण नहीं हुआ तो लोक प्रतिनिधियों और अधिकारियों को गांव में नहीं आने देने का निर्णय भी कई गांवों के लोगों ने लिया है।