जलगांव. इलाज (Treatment) के नाम पर मरीजों (Patients) की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे चार अस्पतालों (Four Hospitals) को ज़िला प्रशासन (District Administration) ने नोटिस (Notice) जारी किया है। गर्मियों की शुरुआत होते ही संक्रामक बीमारियां धीरे-धीरे अपने पैर पसारना शुरू कर देती हैं। इसके चलते डॉक्टर भी नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में अपना जाल फैलाने लगे हैं। अधिकतर डॉक्टर और अस्पतालों ने कोविड को मोटी कमाई का साधन बना लिया है। कोविड के इलाज की मान्यता के बिना ही यूनानी और आयुर्वेदिक डॉक्टर की सुविधाएं लेकर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे दवाखाने का भंडाफोड़ जलगांव में हुआ है।
प्रशासन ने शहर के चार निजी अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस भेजा है। इसमें अस्पताल की क्षमता से अधिक कोविड मरीजों को भर्ती करना, कोविड नियमों का उल्लंघन और रोगियों के जीवन को नुकसान पहुंचाने, रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन के अनावश्यक उपयोग का आरोप शामिल है।
क्लीनिक में ही इलाज कराने को मजबूर हो रहे मरीज
ज़िला अस्पताल तथा सरकारी कोविड अस्पतालों में स्थान नहीं मिलने के कारण मरीज मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के नाम पर झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज कराने में संतुष्टि समझते हैं। दरअसल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी और बढ़ती मरीजों की संख्या के कारण लोग बिना कोविड मान्यता के चल रहे क्लीनिक में ही इलाज कराने को मजबूर हो रहे हैं। झोलाछाप डॉक्टरों ने भी हर गली-मोहल्ले में अपनी क्लीनिक खोल ली है। जहां वह मनमाने पैसों में मरीज का उपचार कर उनके जीवन से खिलवाड़ करने में लगे हैं। लंबे समय से संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कार्रवाई न किए जाने से इनकी संख्या में हर साल इजाफा हो रहा था।
रेमडेसिविर और ऑक्सीजन का अनावश्यक उपयोग करने के मामले सामने आए
जलगांव जिले में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। सरकारी अस्पतालों में बेड नहीं होने के कारण कोविड उपचार के लिए कई निजी अस्पतालों को मंजूरी दी गई थी। पिछले कुछ दिनों से इनमें से कुछ अस्पताल अनियंत्रित तरीके से चल रहे हैं और मरीजों को लूटने और उनके जीवन को दांव पर लगाने की शिकायतें जिला प्रशासन को मिल रही थीं। इनमें बिना अनुमति के कोविड रोगियों का इलाज करने और कुछ स्थानों पर रेमडेसिविर और ऑक्सीजन का अनावश्यक उपयोग करने के मामले सामने आए हैं। रहस्योद्घाटन के बाद जिला कलेक्टर अभिजीत राउत के आदेश पर डॉ. एनएस चव्हाण की टीम ने शहर के निजी अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया। इसमें कुछ स्थानों पर नियमों का उल्लंघन और अनियमितताएं पाई गईं, जिसमें रोगियों के जीवन के साथ खिलवाड़ भी शामिल था।
2 दिन में मांगा नोटिस का जवाब
जिला सर्जन ने शहर के विभिन्न अस्पतालों का दौरा किया, जिसमें अस्पताल के अंदर अनेक प्रकार की अनियमितताएं पाई गईं। कोविड नियमों के अनुसार मरीजों को दवाई और इंजेक्शन नहीं दिए गए। गलत तरीके से उनका इलाज किया जा रहा था। सर्जन ने 4 अस्पतालों को नोटिस जारी किए हैं। टाइटन अस्पताल, दत्त अस्पताल के डॉ. उमेश सालुंखे, संवेदना हॉस्पिटल के डॉ. सुदर्शन पाटिल और वेदांत हॉस्पिटल के डॉ. प्रदीप कुकरेजा को नोटिस जारी किया गया है। उन्हें जवाब दो दिनों के भीतर प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं।
टाइटन अस्पताल में पाई गईं त्रुटियां
- बिना मान्यता के कोविड मरीज को भर्ती कर उनका इलाज करते पाया गया है।
- विशेषज्ञ डॉक्टरों की अनुपस्थिति में आईसीयू में मरीजों को भर्ती कर उनकी जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।
- एक-डेढ़ महीने तक रेमडेसिविर का व्यापक उपयोग।
- ऑक्सीजन का अनावश्यक उपयोग।
- आईसीयू में यूनानी चिकित्सक द्वारा किया जा रहा उपचार।
दत्त अस्पताल में पाई गईं कमियां
- 35 बेड की अनुमति से अधिक मरीज।
- एलोपैथी डॉक्टर का नाम रजिस्टर्ड पर उनके स्थान पर यूनानी डॉक्टर कर रहे इलाज।
- जरूरत न होने पर भी मरीजों को दिया जा रहा रेमडेसिविर।
- ऑक्सीजन का अत्यधिक उपयोग व जरूरत नहीं होने पर भी लगाया जा रहा ऑक्सीजन।
- रोगी सेवा का दर बोर्ड नहीं।
- सामाजिक दूरी का कोई पालन नहीं।
संवेदना अस्पताल में भी लापरवाही
- 60 बेड वाले अस्पताल में 70 मरीजों का इलाज किया जा रहा था।
- सरकारी दर फलक नहीं लगाया गया था।
- रेमडेसिविर, ऑक्सीजन का अनावश्यक उपयोग मरीजों पर करते हुए अस्पताल को पाया गया है।
- ऐसे रोगियों को भी भर्ती किया गया था, जिन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं।
- सामाजिक दूरी का कोई पालन नहीं, पीपीई किट का उपयोग नहीं।
मान्यता निलंबित, फिर भी हॉस्पिटल शुरू
डॉ. प्रदीप कुकरेजा के वेदांत अस्पताल की मान्यता 9 मार्च को निलंबित कर दी गई थी। इसके बावजूद यहां कोविड के पांच मरीज भर्ती कर इलाज किया जा रहा था। इस अस्पताल में भी बहुत सारी अनियमितता पाई गई। इसमें डोनिंग व डोफिंग की व्यवस्था नहीं। यूनानी डॉक्टरों से किया जा रहा इलाज।
जिले में कई ऐसे क्लिनिक चल रहे हैं, जहां झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा मरीजों का उपचार किया जा रहा है। कुछ डॉक्टर खुद के मेडिकल स्टोर भी खोल रखे हैं। जहां फ्री में मिलने वाली सरकारी दवाओं को बेचकर मरीजों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है। कई अवैध पैथोलॉजी लैब भी चल रहे हैं, जिनके खिलाफ स्वास्थ्य विभाग ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
-मोहसीन यूसुफ काकर, सामाजिक कार्यकर्ता