Corona Test

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11000 मरीजों की व्यवस्था में जुटा प्रशासन

जलगांव में विस्फोटक हुई स्थिति

8000 मरीजों के 12 जुलाई तक बढ़ने की आशंका 

जलगांव. खानदेश की आर्थिक राजधानी जलगांव में कोरोना संक्रमण का प्रकोप विस्फोटक बन गया है. केंद्रीय समिति के सामने 12 जुलाई तक ज़िले में आठ हजार कोरोना संक्रमित मरीजों के होने की आशंका जताई गई है. जिला प्रशासन ने बढ़ते मरीजों की व्यवस्था करने के लिए कमर कसना शुरू कर दिया है.जलगांव शहर में अब तीन स्थानों पर कोरोना रोगियों का परीक्षण किया जाएगा. प्रशासन ने बढ़ते संक्रमण के प्रभाव को देखते हुए मोहाड़ी स्थित शासकीय महिला अस्पताल, गुलाबराव देवकर अभियांत्रिकी व इकरा महाविद्यालय को अधिग्रहण करने की तैयारी शुरू कर दी है. ज़िला शल्य चिकित्सक डॉ़ एऩ एस़ चव्हाण ने तीनों स्थानों का निरीक्षण किया है. मोहाड़ी में महिला अस्पताल की स्थापना लंबित चल रहा था, संकेत है कि इस मुद्दे को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा.

गैर कोविड अस्पताल खोलने की तैयारी

गुलाबराव देवकर इंजीनियरिंग कॉलेज और इकरा कॉलेज का निरीक्षण किया गया है. ज़िल प्रशासन यहां गैर-कोविड अस्पताल शुरू कराने सुविधाएं तलाशने में जुटा है. मरीजों की संख्या में वृद्धि की संभावना को देखते हुए, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है. निजी अस्पतालों में भर्ती कराने, एजेंटों का जमावड़ा लगा है. जिला अस्पताल में बढ़ती मृत्यु दर के कारण कोविड अस्पताल में मरीज भर्ती होने से डर रहे हैं. ऐसे माहौल में कुछ दलाल सक्रिय हैं. जो मरीजों से पैसे एेंठ कर उन्हें निजी कोविड अस्पताल में भर्ती करा रहे हैं.

दलाल भी हुए सक्रिय

ऐसा सनसनीखेज मामला जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने गणपति हॉस्पिटल में उजागर किया है. एक आदमी को बिना किसी हिचकिचाहट के एम्बुलेंस से सीधे अस्पताल जाते देखा. अधिकारियों और चिकित्सकों ने उसे रोका और पूछा कहां जा रहे हो तो उसने कहा कि कोरोना पॉजिटिव है. इलाज हेतु भर्ती होने जा रहा है.किस ने यहां भेजा, इस पर रोगी ने एम्बुलेंस चालक का नाम बताया.जबकि नियम है कि जिस रोगी को कोई लक्षण नहीं है, उस रोगी को कोविड केयर सेंटर में भर्ती कराया जाना चाहिए.किंतु मरीजों से पैसे लेकर उन्हें कोविड अस्पताल में रेफर कर रहे हैं.सवाल खड़े हो रहे कि कहीं एजेंट इस तरह से सक्रिय तो नहीं है.

40 लाख निजी अस्पताल का बिल 

एक निजी अस्पताल का अधिग्रहण किया गया था. किंतु कागजों की खानापूर्ति समय पर नही होने के कारण उस निजी अस्पताल का कोरोना अस्पताल के रूप में अधिग्रहण नहीं हो पाया था.इस अस्पताल ने कोरोना परीक्षण जांच और इलाज के नाम पर 40 लाख रुपये का बिल सरकार के नाम फाड़ दिया. जिससे साबित होता कि निजी अस्पतालों के मनमाने रेट पर किसी का अंकुश नहीं है.

मृत्यु दर हुई कम

जिला अस्पताल को मृत्यु दर कम करने में थोड़ी सी सफलता प्राप्त हुई.यह सफलता मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण हुई है.गत सप्ताह प्रति दिन मौतों की संख्या में वृद्धि के कारण मृत्यु दर 8 प्रतिशत से 7.3 प्रतिशत हो गई. मौतों का सिलसिला रोकना अभी संभव नहीं हुआ.

अधिग्रहण होगा खत्म !

दो निजी अस्पतालों को अधिग्रहण से बाहर निकालने की तैयारी में ज़िला प्रशासन है. दोनों अस्पतालों की शिकायतें प्रशासन को प्राप्त हुई हैं. उक्त अस्पताल में नियमानुसार सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं. इसी प्रकार से आईएम के निजी डॉक्टर और सरकारी कर्मचारियों की इन अस्पतालों में नियुक्तियां की गई हैं. अस्पताल से प्रशासन नाराज है. निकट भविष्य में अस्पतालों की मान्यता खत्म की जाएंगी, इस तरह की जानकारी सूत्रों से प्राप्त हुई है.

जिले में रोगियों की संख्या में वृद्धि की संभावना है. वर्तमान में रिकवरी दर के आधार पर 5,000 मरीज ठीक हो जाएंगे. शेष 3,000 रोगियों में से 70% में हल्के लक्षण होंगे. शेष 30% में मध्यम और गंभीर रोगी होंगे.इन मरीजों का इलाज डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में किया जाएगा. इस संभावना को ध्यान में रखते हुए योजना बनाई जा रही है कि मरीजों की संख्या बढ़ेगी, क्योंकि जांच की संख्या भी बढ़ी है.