अधर में लटकी तापी मेगा रिचार्ज योजना

  • अंतिम चरण की मंजूरी के इंतजार में डीपीआर
  • 20 साल पहले मेगा रिचार्ज योजना की अवधारणा हुई थी प्रस्तावित
  • 10 से 11 करोड़ की तैयार हुई थी योजना की डीपीआर

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जलगांव.  महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश राज्यों से गुजरने वाली तापी मेगा रिचार्ज योजना का कार्य दोनों सरकारों में आपसी तालमेल नहीं होने के कारण गति नहीं पकड़ रही है. सतपुड़ा क्षेत्र की तापी नदी क्षेत्र में ‘मेगा रिचार्ज योजना’ प्रस्तावित है, इस पर कुछ काम भी हुआ लेकिन यह कुछ समय से ठंडे बस्ते में चली गई है. तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार के दौर में इस परियोजना को मान्यता दी गई थी. इस योजना की विस्तृत रिपोर्ट अंतिम चरण में है और इसे जल्द ही मंजूरी के लिए राज्य सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सरकार के बदलते ही पूर्व की योजनाओं को ठाकरे और शिवराज सरकार ने प्रतीक्षा सूची में डाल दी है.

नेताओं की उदासीनता से ठंडे बस्ते में योजना

राजनेताओं की उदासीनता के चलते यह परियोजना ठंडे बस्ते में पड़ी है. सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखला में तापी नदी में भूजल स्तर बढ़ाने के उद्देश्य से 20 साल पहले एक मेगा रिचार्ज योजना की अवधारणा प्रस्तावित की गई थी. यावल निर्वाचन क्षेत्र के तत्कालीन विधायक हरिभाऊ जवले ने इस योजना के लिए पहल की और अनुवर्ती कार्रवाई शुरू की. बाद में वे सांसद बने, विधायक भी बदले और योजना के लिए सभी स्तरों पर प्रयास शुरू किए गए थे.

फडणवीस और महाजन ने किया था हवाई निरीक्षण

केंद्र में मोदी सरकार और राज्य में भाजपा की देवेंद्र फडणवीस सरकार के बाद इस योजना का भाग्य चमकेगा, इस तरह की अवधारणा लोगों की बनी थी. तत्कालीन केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री फड़णवीस और जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने योजना का हवाई निरीक्षण भी किया था. इसी बीच उमा भारती को योजना का प्रस्तुतीकरण भी किया गया था. उमा भारती के हवाई निरीक्षण के बाद योजना को गति दी गई. स्वतंत्र कार्यालय की बुनियाद रखी गई. इस योजना के काम का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सतत प्रयास किए गए.

स्वतंत्र टास्क फोर्स का किया गया गठन

योजना के लिए एक अलग टास्क फोर्स नियुक्त किया गया था.  तापी सिंचाई विभाग के तहत एक स्वतंत्र कार्यालय भी स्थापित किया गया था. योजना का रडार सर्वेक्षण पूरा हुआ.  तब योजना की एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) करीब 10 से 11 करोड़ रुपए की तैयार हुई थी. योजना का  डीपीआर अब अंतिम चरण की मान्यता के इंतजार में है.

इस परियोजना से तापी नदी का भूजल बढ़ेगा. इससे आप-पास के क्षेत्रों का भी भूजल बढ़ेगा. इससे क्षेत्रीय लोगों को पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा. लेकिन नेताओं की उदासीनता के कारण यह योजना अभी अधर में लटकी है. इसे गति देने की बहुत जरूरत है.

-नरेश पाटिल, किसान