एक दिन पहले ही कर ली गई थीं तैयारियां
दिन भर चला बादलों का लुका-छिपी का खेल
खगोल प्रेमियों के लिए की गई थी व्यवस्था
जलगांव. विद्यार्थियों तथा अनेक लोगों ने सूर्यग्रहण देखने की तैयारियां शनिवार से ही कर रखी थी. इसके बावजूद आसमान में बदलों की लुकाछिपी का खेल चलता रहा. इसी समय बादलों के बीच छाए सूर्यग्रहण को देखा गया. कुछ संस्थाओं ने सूर्यग्रहण देखने के लिए खगोल प्रेमियों के लिए व्यवस्था भी करवा दी थी, पर बादलों ने उन्हें काफी समय तक इंतजार कराया.देखते ही देखते इंतजार की घड़ियां खत्म हुईं. वैज्ञानिक विद्यार्थियों तथा नागरिकों ने जी भर कर सूर्य दर्शन के साथ ग्रहण देखने का आनंद उठाया. सूर्यग्रहण को लेकर समाज में कई विचार धाराएं हैं.
मंदिरों में ढंगी गई थीं मूर्तियां
इसका असर भी देखने को मिला. शहर के कई लोग ग्रहण के समय अपने घरों से बाहर नहीं निकले तो कई मंदिरों के कपाट नहीं खुले. भगवान की मूर्तियां भी ढंकी हुई देखी गयीं. विज्ञान और खगोल प्रेमियों में सूर्यग्रहण देखने को लेकर उत्साह था. वहीं मुस्लिम समुदाय में सूर्य ग्रहण सकुशल हो जाए, इसके लिए विशेष नमाज दान दक्षिणा का आयोजन किया गया था. इसके चलते ये लोग दूरबीनों समेत अन्य सामग्रियां लेकर जगह-जगह बैठे रहे. इसके बावजूद उन्हें सूर्यग्रहण मात्र पल कुछ पल ही दिखा. सूर्यग्रहण देखने को लेकर अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने जनजागृति की थी.
प्राकृतिक आपदा और रोग बढ़ाएगा
ज्योतिर्विद पं.आनंद शंकर शर्मा ने बताया कि ग्रहण के आरंभ व मध्यकाल के चक्र में ग्रह स्थिति के अनुसार प्राकृतिक आपदा, रोग के भय के साथ सत्ता और विपक्ष में संघर्ष की आशंका बनी है. कोरोना संक्रमण से शुरुआत तीन माह में राहत के आसार नहीं है. कमजोर और मध्यम वर्गीय को आर्थिक संकट तकलीफ देगा.
ग्रहण देखने हुआ फिल्टर का इस्तेमल
मराठी विज्ञान परिषद के सचिव खगोलशास्त्री दिलीप भारंबे ने बताया कि सूर्य ग्रहण में रिंग ऑफ फायर का दृश्य नजर आता है. इसे देखने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए. इसके लिए फिल्टर का इस्तेमाल करना चाहिए. फिल्टर से आप सूर्य की पराबैंगनी किरणों से सुरक्षित रख सकते हैं. विज्ञान परिषद ने सूर्य ग्रहण देखने नागरिकों को चश्मे उपलब्ध कराए गे थे.
ग्रहण की समाप्ति पर दान
ग्रहण काल के सूतक काल में मूर्ति स्पर्श, पूजा-पाठ, अनुष्ठान, ध्यान निषेध है.इस समय संकीर्तन पाठ, रामनाम जाप व सूर्य मंत्र जाप लोगों ने लॉक डाउन में घरों में ही किया.ग्रहण की समाप्ति के बाद स्नान, दान, पूजा-पाठ इत्यादि आवासों में रुक कर संपन्न कराई गई.