Pradosh Vrat
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सावन के महीने में भगवान महादेव और शनि देव की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। प्रदोष व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए फलदायी है और जब “सावन, प्रदोष और शनिवार” यदि एक साथ आ जाएँ तो इस दुर्लभ संयोग का लाभ ज़रूर उठाना चाहिए।

इस बार यह शुभ संयोग 1 अगस्त को है इस तिथि को सावन शनि प्रदोष कहते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार शनि प्रदोष व्रत का पालन करने से कुंडली में शनि ग्रह दोष जनित कष्टों का निवारण होने के साथ-साथ भगवान शंकर की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। शनि ग्रह की महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या से परेशान लोग 1 अगस्त 2020 को पूर्ण श्रद्धा-विश्वास के साथ शनि प्रदोष व्रत का पालन करके अपनी तकलीफ़ों से छुटकारा पा सकते हैं। इसके बाद ऐसा शुभ संयोग सात साल बाद यानि 2027 में आएगा।

शनि प्रदोष व्रत का महत्व – जानकारों का मानना है कि शनि प्रदोष व्रत करने वालों को न केवल शनि ग्रह की साढ़ेसाती और ढैय्या से छुटकारा मिलता बल्कि सीके साथ-साथ नौकरी और व्यापार में आने वाली बाधाएँ भी दूर होती हैं। लंबी आयु, धन-संपत्ति, संतान प्राप्ति और पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए शनि प्रदोष व्रत का पालन करना चाहिए।

शनि प्रदोष के दिन दान करने योग्य वस्तुएँ – शनि प्रदोष के दिन गरीब अथवा ज़रूरतमंदों को दान में अन्न, जूते-चप्पल, कपड़े, बिस्तर देना फलदायी माना गया है। पुराणों के अनुसार प्रदोष के दिन भगवान शंकर का अभिषेक करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती और यदि प्रदोष तिथि शनिवार को हो तो शनिदेव का तेल से अभिषेक करने से साढ़ेसाती और ढैय्या की कष्ट-बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है।

-रितु शर्मा