Hartalika Teej 2021
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तीज एक हिंदू का त्यौहार है जिसमें भारतीय सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए महिलाए इस पर्व को करती है यह श्रावण महीने में आता है और ज्यादातर उत्तर भारत और नेपाल में मनाया जाता है। तीज भी राजस्थान, हरियाणा, पंजाब,बिहार आदि राज्यों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है  

तीज को सैकड़ों वर्षों से भारत में मनाया जाता है। यह माना जाता है कि देवी पार्वती को 108 जन्मों तक प्रतीक्षा करनी पड़ीं थी तब कहीं भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। और तीज के तीन दिन के त्यौहार में भगवान शिव और पार्वती के पुनर्मिलन का उल्लेख किया गया है।

तीज के प्रकार: तीज तीन प्रकार की है, हरियाली तीज, जब महिलाएं चंद्रमा की पूजा करती हैं,कजरी तीज जब महिलाएं नीम के पेड़ की पूजा करती हैं, और सबसे महत्वपूर्ण हरितालिका तीज, जब महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं।

तीज भारत के उत्तरी हिस्सों में मानसून की शुरुआत को चिन्हित करता है और इसलिए इसे ‘सावन’ त्योहार भी कहा जाता है। हरितालिका तीज का नाम मानसून की शुरुआत से जुड़े हरियाली से मिलता है। तीज़ अगस्त में पूर्णिमा के तीसरे दिन हर साल मनाया जाता है।

तीज त्यौहार का उत्सव: महिलाए इस दिन पारंपरिक डिजाइन के कपड़े पहनती हैं अपने हाथों और पैरों पर मेहंदी लगातीं हैं। कई महिला इस त्योहार के लिए अपने माता-पिता के घर जाती हैं, और रक्षा बंधन तक रहती हैं, जहां महिलाएं अपने भाइयों के लिए प्रार्थना करती हैं। तीज पर विवाहित महिला या दुल्हन के लिए उसके ससुराल वाले कुछ उपहार देते हैं।इसे एक शुभ अवसर भी माना जाता है

हरियाली तीज पूजा विधि: निर्जला व्रत और भगवान शिव और माता पार्वती जी की विधि पूर्वक पूजा करने का विधान है। इस दिन व्रत के साथ-साथ शाम को व्रत की कथा सुनी जाती है। माता पार्वती जी का व्रत पूजन करने से धन, विवाह संतानादि भौतिक सुखों में वृद्धि होती है।

सावन मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं शिव-पार्वती का विशेष पूजन करती हैं, वही हरियाली तीज कहा जाता है। देश के बड़े भाग में यही पूजन आषाढ़ तृतीया को मनाया जाता है उसे हरितालिका तीज कहते हैं। दोनों में पूजन एक जैसा होता है अत: कथा भी एक जैसी है। इस दिन हरे वस्त्र, हरी चुनरी, हरा लहरिया, हरा श्रृंगार, मेहंदी, झूला-झूलने का भी रिवाज है। पूजा सामग्री के रूप में फल,फूल, ठेकुआ , गुजिया , मिठाई भी चढ़ाई जाती है। 

-सीमा कुमारी