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महापर्व करवा चौथ (Karwa Chauth 2020) को ‘करक चतुर्थी’ भी (Karak Chaturthi 2020) कहते है। विवाहित महिलाएं करवा चौथ दिन पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस बार यह पर्व बुधवार, 4 नवंबर 2020 को मनाया जाएगा। इस दिन यदि करवा चौथ पूजन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो यह शाम 5 बजकर 29 मिनट से शाम 6 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन मां पारवती की पूजा कर अखंड सौभाग्‍य का वरदान प्राप्त करती हैं।

मां पारवती के साथ-साथ उनके दोनों पुत्र कार्तिक और गणेश, गौरी तथा चंद्रमा की पूजा की जाती है। चंद्रमा को सामन्यतः आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। मिटटी का एक पात्र जिसमें जल रखा जाता है, उसे ‘करवा’ कहते हैं और चतुर्थी तिथि को ‘चौथ’ कहते हैं। इस पूजा में करवा बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, इसे ब्राह्मण या किसी योग्य सुहागन महिला को दान में भी दिया जाता है।

करवा चौथ के नियम 

सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए रखती हैं तो वहीं कुंवारी लड़कियां यह व्रत सुयोग्य जीवनसाथी पाने के लिए रखती हैं। यह व्रत न केवल सुहागन महिलाओं के लिए बल्कि कुंवारी लड़कियों के लिए भी विशेष होता है। इस दिन कुंवारी लड़कियां भी सुयोग्य जीवनसाथी पाने के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जल रखा जाता है। व्रत रखने वाली कोई भी महिला काला या सफेद वस्त्र नहीं पहनती हैं। लाल वस्त्र सबसे अच्छा है। पीला भी पहना जा सकता है। इस दिन पूर्ण श्रृंगार और पूर्ण भोजन जरूर करना चाहिए।

ऐसे सजाएं पूजा की थाली 

चंद्रमा के दर्शन के लिए थाली सजाएं (Karwa Chauth Puja Thali)। थाली मैं दीपक, सिन्दूर, अक्षत, कुमकुम, रोली तथा चावल की बनी मिठाई या सफेद मिठाई रखें।  संपूर्ण श्रृंगार करें और करवे में जल भर लें।  मां गौरी और गणेश की पूजा करें।  चंद्रमा के निकलने पर छलनी से या जल में चंद्रमा को देखें।  अर्घ्य दें, करवा चौथ व्रत की कथा सुनें।  उसके बाद अपने पति की लंबी आयु की कामना करें।  अपनी सास या किसी वयोवृद्ध महिला को श्रृंगार का सामान दें तथा उनसे आशीर्वाद लें।