Learn the worship method and Muhurta of Kajri Teej

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आज, यानी 6 अगस्त को कजरी तीज का त्यौहार मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में कजरी तीज के पर्व को प्रेम और भक्ति के साथ मनाया जाता है. कजरी तीज भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को आता है. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से यह पांचवा महीना होता है. कजरी तीज पर महिलाएं व्रत रख भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और उनसे अखंड सौभाग्य का वरदान मांगती हैं. साथ ही कुंवारी लड़कियां भी मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए यह व्रत रखती हैं.

पूजन विधि: कजरी तीज के दिन व्रती महिलाओं को ब्रह्म मुहूर्त पर जागना चाहिए. उसके बाद स्नानादि कर पवित्र हो जाएं और सोलह सिंगार करें. इस दिन श्रृंगार का बेहद महत्व है क्योंकि यह त्यौहार सुहाग का प्रतीक है.

इस दिन निर्जला व्रत रख भगवान शिव, माता पार्वती और नीमड़ी माता की पूजा की जाती है. पूजन से पहले मिट्टी व गोबर से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाई जाती है. उसके पास नीम की टहनी को रोप देते हैं. तालाब में कच्चा दूध और जल डालते हैं. किनारे पर एक दीया जलाकर रखते हैं. थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि रखे जाते हैं. पूजा के बाद जौं, गेंहू और चावल के सत्तू में घी मिलाकर भोग तैयार करते हैं. इस दिन इसी का नीमड़ी माता को भोग लगाया जाता है.

चंद्रमा को अर्घ देने की विधि: कजरी तीज में शाम को नीमड़ी माता की पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्घ देने की परंपरा है.

  • चंद्रमा को जल के छींटे देकर रोली, मोली और अक्षत चढ़ाएं साथ ही भोग अर्पित करें.
  • चांदी की अंगूठी और गेंहू के दाने हाथ मे लेकर जल से अर्घ देते हुए एक ही जगह पर 4 बार परिक्रमा लगाएं.

महूर्त: इस साल कजरी तीज महूर्त का प्रारंभ 5 अगस्त को देर रात 10 बजकर 50 मिनट से चालू होकर 6 अगस्त की देर रात 12 बजकर 14 मिनट तक रहेगा.

-मृणाल पाठक