सूर्य ने जला दिया था शनिदेव का घर, ‘काला तिल’ का दान बना वरदान, पढ़ें रोचक कहानी

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नववर्ष का पहला पर्व यानी ‘मकर संक्रांति’ (Makar sankranti 2021) इस साल 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन काले तिल का दान का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में काले तिल (Black Sesame) के दान के पीछे क्या वजह है, आप जानते हैं? इसके पीछे एक नहीं अनेक मान्यताएं है। माना जाता है कि, मकर संक्रांति के दिन काले तिल का दान (Teel Dan)  करने से  परिवार में सुख-समृद्धि, शांति बनी रहती है। साथ ही पापों से मुक्ति मिलती है। तो चलिए जानते हैं कि तिल दान का महत्त्व।

तिल दान से शनिदेव होते हैं प्रसन्न

मान्यता है कि, शनिदेव को तिल बेहद प्रिय है। मकर संक्रांति के दिन तिल दान करने वाले भक्तों से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। जिन लोगों पर शनि का प्रकोप रहता हैं, उन्हें इस दिन तिल का दान जरूर करना चाहिए। कहा जाता है कि, तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के शरीर से हुई थी, इसलिए तिल का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन सूर्य को दिए जाने वाले जल में तिल डालकर अर्ग देना चाहिए और सूर्य देव का स्मरण कर तिल को छूकर दान करना विशेष फलदायी होता है। 

मकर संक्रांति पर चावल, उड़द की दाल, मूंगफली या गुड़ का सेवन और दान करना तभी पूर्ण होता है जब इसमें तिल का अंश भी शामिल हो। तिल का दान करना कई जन्मों के पाप को हर लेता है।

 

सूर्य ने जला दिया शनिदेव का घर

सूर्य देव की दो पत्नियां थी इनमें एक का नाम छाया और दूसरी का नाम संज्ञा है। सूर्य (Suryadev Story) के पुत्र शनिदेव छाया के गर्भ से जन्मे हैं, वहीं यमराज सूर्य और संज्ञा के पुत्र हैं। एक बार सूर्यदेव ने छाया को यमराज से भेदभाव करते देखा तो उन्होंने छाया और अपने पुत्र शनि को खुद से अलग कर दिया। सूर्यदेव के त्याग से रुष्ट होकर शनिदेव और उनकी मां छाया ने सूर्य को कुष्ट रोग का शाप दे दिया। उधर, पिता को कष्ट में देख कर यमराज ने कठोर तप से उन्हें इस कष्ट से मुक्त करा दिया। कष्ट मुक्त होने के बाद भगवान सूर्य ने शनि का घर यानी कुंभ को जला दिया इससे शनि व उनकी मां को बेहद कष्ट हुआ। 

यमराज ने निभाई थी मध्यस्थता 

यमराज ने मध्यस्थता निभाते हुए पिता-पुत्र के इस क्रोध को शांत किया। उन्होंने पिता से अनुरोध किया कि वह शनि को माफ कर दें। इसके बाद सूर्यदेव मकर संक्रांति के दिन शनि के घर और देखा कि वहां सब कुछ जल का राख हो चुका है। शनिदेव ने पिता को घर पर आदर-सत्कार दिया लेकिन कुछ भी उनके सत्कार को नहीं था। केवल तिल बचा था, सो उन्होंने अपने पिता की पूजा तिल से कर दी।

तिल बना पूजनीय और महादान

पिता सूर्य शनिदेव के तिल से की गई पूजा से प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया कि, मकर संक्रांति के दिन जो कोई व्यक्ति काले तिल से शनि देव और उनकी पूजा करेगा या काला तिल का दान करेगा, उनके जीवन की सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।