उज्जैन जाने का बना रहे हैं मन, तो इन जगहों पर जाना ना भूलें

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क्षिप्रा नदी के तट पर बसा उज्जैन शहर महाकाल की नगरी के नाम से जाना जाता है. इस शहर में कई सारी ऐतिहासिक विरासते हैं. उज्जैन को आध्यात्म का भी बड़ा केंद्र माना जाता है. वैसे तो उज्जैन मुख्य रूप से महाकाल मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यहाँ और भी दर्शनीय स्थल हैं. तो अगर आप उज्जैन जा रहे हैं, फिर इन जगहों पर जाना ना भूलें…

महाकालेश्वर मंदिर: 12 ज्योतिर्लिंग में से एक उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भी है. कहते हैं की महाकाल के दर्शन करने से आपकी कम आयु में मृत्यु नहीं होती है. इस मंदिर को ऐतिहासिक बताया जाता है और कहा जाता है की भगवान शिव का शिवलिंग यहां खुद प्रगट हुआ था. सुबह के समय ब्रम्ह मुहूर्त में यहाँ होने वाली भस्म आरती को देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं.

जंतर मंतर: जंतर मंतर एक समय पर खगोल का बहुत बड़ा केंद्र हुआ करता था. इतिहास के अनुसार इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में राजा जयसिंह के द्वारा किया गया था. यहाँ पर लगे सभी उपकरण उसी समय के है. यह स्थान उज्जैन के पर्यटन स्थलों में से है.

काल भैरव मंदिर: काल भैरव को भगवान शिव का ही एक अंश माना जाता है. इस मंदिर का निर्माण चंद्रसेन द्वारा करवाया गया था. यहाँ पर अलग-अलग तरह की मूर्तियां देखने को मिलती हैं. यहाँ की सबसे बड़ी खास बात यह है कि यहाँ पर काल भैरव को मदिरा चढ़ाई जाती है.

कालिदास संस्कृत अकादमी: कालिदास संस्कृत अकादमी में भारत की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत का महत्व और उसके विस्तार की रूप-रेखा है. महाकवि कालिदास के नाम से बना ये संस्थान आज भी हमें  भारत के गौरवशाली इतिहास की कई सारी कहानियां बतलाता है.

चिंतामन गणेश मंदिर: माना जाता है कि क्षिप्रा नदी के किनारे बने इस मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति स्वयं प्रगट हुई थी. इस मंदिर में जाने से आपके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. यह शहर का सबसे बड़ा गणेश मंदिर है और यहाँ रोजाना हजारों की संख्या में भक्त आते हैं.

हरिसिद्धि मंदिर: कहा जाता है कि इस मंदिर में स्वयं विक्रमादित्य पूजा करने आते थे. यह मंदिर रुद्रसागर तालाब के किनारे है. माना जाता है कि माता सती की कोहनी यहाँ पर गिरी थी. यह वैश्य समाज का प्रमुख मंदिर है. इसे लेकर एक रोचक कहानी यह भी है, कि विक्रमादित्य के अलावा कोई भी शासक यहाँ विश्राम नहीं करेगा और यह आशीर्वाद उन्हें इसी शक्तिपीठ से  मिला था.

-मृणाल पाठक