Work From Home

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    एन. एम   अय्यर

    मुंबई. आज से ठीक एक वर्ष पहले कोरोना वायरस रुपी प्रेत ने हमारे हँसते खेलते जीवन में प्रवेश किया था। इस घातक संक्रमण के चलते अधिकांश स्कूल, कॉलेज अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिए गए थे। वहीं राशन और किराने की दुकान वाले जरुरी सामान के सप्लाई हेतु हम तनाव में थे। ऐसी विकट परिस्थिति में कई सरकारी और प्राइवेट कार्यालयों ने इस WFH (Work From Home) यानी घर से ऑफिस के काम करने की शुरुआत की थी।

    क्या WFH (Work From Home)  सही है:

    हालाँकि शुरू में इसमें कुछ शुरुआती समस्याएं जरुर हुई थीं, लेकिन जैसे-तैसे इसने गति पकड़ी और काम ने आगे बढ़ना शुरू कर दिया। यह व्यवस्था कंपनी के शीर्ष मालिकों के लिए अच्छी थी। क्योंकि उनके रिटर्न और कार्यों के दिए गए लक्ष्य व्यावहारिक रूप से बनाए गए थे जिन्हें किसी भी हाल में पाना था। लेकिन इन सबके चलते श्रमिकों और उनके परिवारों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, इस पर तो किसी ने ज्यादा नहीं सोचा है। कर्मचारी के यात्रा अवधि को व्यवसायिक उपयोग करने के लिए अब उनके काम के घंटे बढ़ा दिए गए हैं। जिसके चलते अब 8 घंटे के काम से इसे अब 11 घंटे तक बढ़ाया गया है। इस तरह एक कर्मचारी अब अतिरिक्त 3 घंटे काम कर रहा है और इस प्रकार के कार्यों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। 

    कभी कभी तो यह अतिरिक्त 3 घंटे का समय और आगे भी बढ़ गया है कुछ ख़ास क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए। खासकर तब जब एक कर्मचारी इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) क्षेत्र से तालुख रखता हो और उसके ग्राहक अमेरिकी महाद्वीपों से आते हों। अब कार्य का यह तरीका और समय इन अमेरिकी महाद्वीपों के लोगों के लिए सही हैं क्योंकि उनके लिए तो यह दिन का समय होता है और वे अपने काम को लेकर एक्शन मोड पर होते हैं। लेकिन इन सबके उलट उस एशियाई महाद्वीप के कर्मचारी का क्या जिसके लिए यह समय सोने का होता है जो वह अपने इन आकाओं के लिए इनके काम पर खर्च करता है। गौरतलब है कि यह वह समय है जब उक्त कर्मचारी थोड़ी देर ठीक से रात को सोकर अपने स्वास्थ्य को दुरुस्त रख सकता है।

    WFH- आशीर्वाद या अभिशाप:

    दूसरी तरफ मैंने ऐसे कई परिवार देखे हैं जहाँ दोनों दंपत्ति  IT क्षेत्र के हैं और उनके स्कूल जाने वाले बच्चे हैं, और कुछ के तो बहुत छोटे बच्चे भी हैं। चूंकि अब स्कूल भी बंद हैं, तो इसलिए ऐसे बच्चों को ONLINE कक्षाओं में जाना पड़ता है, जिसके लिए उन्हें अपने माँ बाप की मदद और मार्गदर्शन की अत्यंत आवश्यकता होती है। वहीं ऐसे परिवारों की महिलाएं अधिक परेशानियों का सामना करती हैं क्योंकि उन्हें तो अपने ऑफिस के काम के साथ घर के जरुरी कार्य और फिर खाना भी तो बनाना पड़ेगा। हाँ अब लॉक डाउन और परिवार की सुरक्षा के चलते वे अपनी काम वाली महरी और खाना बनाने वाले महाराज को भी तो नहीं बुला सकते।

    जरा सोचिये उन शादी शुदा जोड़ों के बारे में जिनका बहुत ही छोटा बच्चा हो और उस बच्चे को देखने वाली ‘आया’ के अभाव में उस ऑफिस का कार्य करने वाली महिला पर क्या गुजरती होगी जिसे अब अपने काम के लिए और ज्यादा समय देना होगा। वहीं अब उस नवविवाहित जोड़े का सोचिये जिसमे से एक ही IT क्षेत्र का हो और दूसरा किसी दुसरे कार्य क्षेत्र से या फिर उस लड़की का जिसका पति तो  IT क्षेत्र का हो और वो खुद शादी के बाद एक घरेलु महिला बन गयी हो। इन लोगों का विवाहित जीवन कैसे चल रहा होगा इसका तो भगवान् ही मालिक होगा या इनका जीवन नर्क के जैसा होगा। ऐसे तो और भी कई उदहारण होंगे लेकिन फिलहाल तो ये सब ही काफी पड़ गए हैं।

    क्या है समस्या का समाधान:

    लेकिन अगर देखा जाए तो इन सब का एकमात्र समाधान अब रात 9 बजे के बाद कोई भी ऑफिस के काम नहीं करना ही उचित है। जिसे शयद अब प्रशासन को उन सभी कंपनियों पर सख्ती से लागू करना ही होगा, जिन्होंने इस WFH  (Work From Home) कार्य प्रणाली को अपनाया है। हाँ लेकिन इस समस्या का कोई जरुरी और उचित समाधान तो होना ही चाहिए क्योंकि वैसे भी यह कोरोना महामारी इतनी जल्दी तो हमारा पीछा नहीं छोड़ रही है।