रोहिणी व्रत कब मनाया जाता है? जानें व्रत के लाभ

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आज यानी 13 अगस्त को रोहिणी व्रत का पर्व मनाया जा रहा है. यह पर्व जैन समाज का महत्वपूर्ण पर्व है. मुख्य रूप से यह पर्व विवाहित महिलाओं के लिए होता है. जिसमें पति के लंबे जीवन और खुशहाल वैवाहिक जीवन कि कामना की जाती है. इस दिन महिलाएं सजती और संवरती है. रोहिणी जैन और हिंदू कैलेंडर में सत्ताईस नक्षत्रों में से एक नक्षत्र है.

कब मनाया जाता है
रोहिणी सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पर मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो लोग रोहिणी व्रत का पालन करते हैं, वे सभी प्रकार के दुखों और गरीबी से छुटकारा पा सकते हैं. इसीलिए व्रत का बहुत अधिक महत्व है. 

एक साल में बारह रोहिणी व्रत
एक साल में कुल बारह रोहिणी व्रत होते हैं. जिन्हें बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. आमतौर पर रोहिणी व्रत तीन, पांच या सात वर्षों तक लगातार मनाया जाता है. ताकि कोई भी व्यक्ति को मनचाहा फल मिल सके. रोहिणी व्रत की सही अवधि पांच साल और पांच महीने है. यह व्रत को उद्यापन के साथ ही समाप्त किया जाना चाहिए अन्यथा इसका फल नहीं मिल पता है.

रोहिणी व्रत के लाभ
रोहिणी व्रत घरों में समृद्धि और खुशहाली लाने के लिए किया जाता है. इस दिन प्रभु से सुख और आशीर्वाद पाने के लिए जैन समाज व्रत रखते हैं. रोहिणी व्रत पतियों के लंबे जीवन, बीमारी से उबरने के लिए और उनके जीवन से परेशानियों को खत्म करने के लिए किया जाता है. यह व्रत करने से लोगों के सभी दुखों का निवारण होता है और गरीबी से छुटकारा भी मिलता है. लोग अच्छे स्वास्थ्य, भाग्य और धन पाने के लिए यह व्रत करते हैं. रोहिणी व्रत करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां भी आती है.