Bhai Dooj 2020: भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। दिवाली के तीसरे दिन यानी गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) के अगले दिन मनाया जाता है। इस वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानी 16 नवंबर भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों के
के माथे पर तिलक लगाकर उसकी सुख, समृद्धि और लम्बी उम्र की कामना करती हैं। आज हम आपकों ऐसे उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे भाइयों के जीवन में तरक्की होती रहेगी।
भाई दूज मनाने का तरीका
भाईदूज (Bhai Dooj 2020) मनाने के लिए सर्वप्रथम बहनें भाईयों को तेल मलकर गंगा यमुना के जल में स्नान करवाती हैं। अगर ऐसा कर पाना संभव न हो तो सामान्य जल का प्रयोग भी किया जा सकता है। इसके बाद आसन पर चावल के घोल से चौक बनाएं। इस चौक पर भाई को बिठाकर बहन अपने के हाथों पर चावलों का घोल लगाएं। उसके ऊपर सिंदूर लगाकर फूल, पान, सुपारी तथा मुद्रा रखकर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ते हुए यह बोलें – गंगा पूजा यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण कोस गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें। अब बहन भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर कलावा बांधें। भाई को मिठाई, मिश्री माखन खिलाए।
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भाई की लंबी उम्र के लिए करें यह उपाय (Bhai Dooj Par Upay)
हाथों को जोड़ कर भाई की लंबी उम्र के लिए कामना करें। इसके उपरांत यमराज के नाम का चौमुखा दीपक जलाकर घर की दहलीज के बाहर रखें। यह उपाय करने से आपके भाई के जीवन की विघ्न-बाधाएं दूर हो जाएंगी। माना जाता है कि ऐसा करने से यम की कुदृष्टि कभी भी भाई के उपर नहीं पड़ती।
भाई दूज शुभ मुहूर्त 2020
भाई दूज तिथि- सोमवार, 16 नवंबर 2020
भाई दूज तिलक मुहूर्त – दोपहर 1 बजकर 11 मिनट से 3 बजकर 17 मिनट तक
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पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया की दो संताने थी। यमराज और यमुना। भाई और बहन दोनों में बड़ा ही स्नेह था। बहन यमुना हमेशा चाहती थी भाई यमराज उनके घर आकर भोजन ग्रहण किया करें। लेकिन हमेशा काम में व्यस्त रहने वाले यमराज बहन की विनती को टाल देते थे।
एक बार बहन यमुना ने कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर अपने घर के दरवाजे पर भाई यमराज को देखकर अत्यंत प्रसन्न हुई। उन्हें स्नेहपूर्वक भोजन कराया एवं यह वचन लिया कि इस दिन हर साल वे अपनी बहन के घर भोजन के लिए आएंगे। साथ ही भविष्य में जो बहन इस दिन अपने भाई को आमंत्रित कर तिलक करके भोजन कराएगी, उसे और उसके भाई को कभी भी यमदेव का भय नहीं सताएगा। साथ ही भाई की उम्र लंबी होगी, तभी से भाई दूज पर यह परंपरा चली आ रही है।
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