कौन हैं सांता क्लॉज, आखिर क्रिसमस में मोजे में ही क्यों बांटते हैं गिफ्ट ?

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क्रिसमस (Christmas 2020) में कुछ दिन बचे हैं तैयारियां ज़ोरो शोरों पर है। सभी जगह आपको डेकोरेशनस, लाइट्स, गिफ्ट्स और क्रिसमस ट्री देखने को मिल जाएंगे। बचपन में हम सभी ने क्रिसमस से जुड़ी सांता क्लॉज (Santa Claus) की कई कहानियां सुनी होंगी। छोटे से मोजे में कागज के एक टुकड़े पर ढ़ेर सारी विश लिखकर अगली सुबह उनके पूरे होने का इंतजार भी किया होगा। बहुत बार विश पूरी ना होने पर बुरा भी लगा होगा। जिससे मन में कई तरह के सवाल आने लगते हैं जैसे क्या सच में सांता क्लॉस है या फिर बस ये कहानियां ही है? क्रिसमस पर्व आज हम आपको बताएंगे की असली सांता क्लॉस कौन है और वह कहां रहता है, जानते हैं रोचक किस्से !

सांता क्लॉस (Santa Claus)

क्रिसमस पर  सांता क्लॉज का नाम सुनते ही बच्चों के मन में सफेद लंबी दाढ़ी, लाल रंग के कपड़े और सिर पर टोपी पहने बूढ़े बाबा ‘ सांता क्लॉज’ का ख्याल आने लगता है। मान्यता है कि, सांता क्रिसमस के दिन सीधा स्वर्ग से धरती पर आते हैं और वे बच्चों के लिए टॉफियां, चॉकलेट, फल, खिलौने व अन्य उपहार बांटकर वापस स्वर्ग में चले जाते हैं। ईसाई समुदाय के बच्चे सैंटा को एक देवदूत मानते रहे हैं, उन्हें ‘क्रिसमस फादर’ भी कहा जाता है। 

एक कहानी के अनुसार, सांता क्लॉज मायरा के निकट एक शहर में जन्मे थे। उनका नाम निकोलस था। संत निकोलस के पिता एक बहुत बड़े व्यापारी थे, जिन्होंने निकोलस को हमेशा दूसरों के प्रति दयाभाव और जरूरतमंदों की सहायता करने के लिए प्रेरित किया। निकोलस को बच्चों से खास लगाव रहा। किसी भी त्योहर पर वह अपनी दौलत में से बच्चों के लिए वह खूब सारे खिलौने खरीदते और खिड़कियों से उनके घरों में फेंक देते। क्रिसमस के दिन कुछ ईसाई परिवारों के बच्चे रात में घरों के बाहर अपनी जुराबें (मोजे) सुखाते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि सांता क्लॉज रात में आकर उनकी जुराबों में उनके मनपसंद उपहार भर जाएंगे।

उनके इस कार्य के चलते उन्हें बिशप बना दिया गया। बिशप के रूप में निकोलस की जिम्मेदारियां और बढ़ गईं। अब वे क्रिसमस के दिन हर जरूरतमंदों का ध्यान रखते थे। वे इस बात का ध्यान रखते थे कि सभी को भरपेट भोजन मिले। धीरे धीरे उनकी प्रसिद्धि उत्तरी योरप में भी फैलने लगी। लोग उन्हें सम्मान देने के लिए ‘क्लॉज’ कहना शुरू कर दिया। चूंकि कैथोलिक चर्च ने उन्हें ‘संत’ का ओहदा दिया था, इसलिए उन्हें ‘सांता क्लॉस’ कहा जाने लगा। जो आज ‘सैंटा क्लॉज’ के नाम से मशहूर है।

संत निकोलस की याद में कुछ जगहों पर हर साल 6 दिसंबर को ‘संत निकोलस दिवस’ भी मनाया जाता है। हालांकि एक धारणा यह भी है कि संत निकोलस की लोकप्रियता से नाराज लोगों ने 6 दिसंबर के दिन ही उनकी हत्या करवा दी। इन बातों के बाद भी बच्चे 25 दिसंबर को ही सैंटा का इंतजार करते हैं। हालांकि सैंटा क्लॉज के बारे में अन्य कई कहानियां भी प्रचलित है।

दूसरी कहानी के अनुसार, फिनलैंड में एक जगह है रोवानिएमी, माना जाता है कि यहीं पर सैंटा विलेज है। यहां कड़ाके की ठंड पड़ती है। 6 महीने दिन और 6 महीने रात वाला यह देश 12 महीने बर्फ की चादर से ढका रहता है। रोवानिएमी में एक छोटा सा गांव है जिसे सैंटा विलेज के नाम से पुकारा जाता है। इस गांव में एक लंबी सफेद दाढ़ी वाला, लाल रंग के कपड़े पहने हुए एक व्यक्ति रहता है, जिसे लोग ‘रियल सांता क्लॉस’ कहते हैं। इस गांव में एक ऐसी हट है जिसमें सिर्फ सैंटा और उनकी पत्नी रहते हैं।