‘गणेश चतुर्थी’ के दिन गलती से भी न देखें चांद? जानिए श्री गणेश और चंद्रमा की कथा

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    -सीमा कुमारी

    सनातन हिन्दू धर्मं में भादो महीने की ‘गणेश चतुर्थी’ (Ganesh Chaturthi) का बड़ा महत्व है, क्योंकि  इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। हर साल समूचे देश में ‘गणेश चतुर्थी’ का महापर्व बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 10 सितंबर, शुक्रवार को है।

    ‘गणेश चतुर्थी ‘को ‘कलंक चतुर्थी’ और ‘शिवा चतुर्थी’ भी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चंद्रमा का दर्शन करना वर्जित माना जाता है। यदि गणेश चतुर्थी के दिन आप चंद्रमा का दर्शन कर लेते हैं, तो आप पर झूठे कलंक लग सकते हैं।  

    ‘विष्णु पुराण’ के मुताबिक, श्रीकृष्ण ने एकबार चतुर्थी के दिन चंद्रमा देख लिया था, तो उन पर ‘स्यमंतक मणि’ की चोरी का आरोप भी लगा था। आइए जानें ‘गणेश चतुर्थी’ के दिन चांद को देखना अशुभ क्यों माना जाता है ?  

    पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार गणेश जी कहीं से भोजन करके आ रहे थे, तभी उनको रास्ते में चंद्रदेव मिले और उनके बड़े उदर को देखकर हंसने लगे।

    इससे गणेश जी क्रोधित हो गए और उन्होंने शाप दे दिया कि तुमको अपने रूप पर इतना अंहकार है, इसलिए मैं तुम्हें क्षय होने का शाप देता हूं। गणेशजी के शाप से चंद्रमा और उसका तेज हर दिन क्षय होने लगा और मृत्यु की ओर बढ़ने लगे।

    देवताओं ने चंद्रदेव को शिवजी की तपस्या करने को कहा। तब चंद्रदेव ने गुजरात के समुद्रतट पर शिवलिंग बनाकर तपस्या की। चंद्रदेव की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको अपने सिर पर बैठा कर मृत्यु से बचा लिया था। इसी जगह पर भगवान शिव चंद्रमा की प्रार्थना पर ज्योर्तिलिंग रूप में पहली बार प्रकट हुए थे और ‘सोमनाथ’ (Somnath Jyotirlinga) कहलाए।

    चंद्रदेव ने अपने अंहकार की भगवान गणेश से क्षमा मांगी। तब गणेश जी ने उनको क्षमा कर दिया और कहा कि मैं इस शाप को खत्म तो नहीं कर सकता है, लेकिन आप हर दिन क्षय होंगे और 15 दिन बाद फिर बढ़ने लगेंगे और पूर्ण हो जाएंगे। अब से आपको हर दिन लोग देख सकेंगे लेकिन भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन जो भी आपके दर्शन करेगा, उसको झूठा कलंक लगेगा।

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर चंद्र को देख ही लिया तो कलंक चतुर्थी की ‘कृष्ण-स्यमंतक कथा’ को पढ़ने या विद्वत्जनों से सुनने पर गणेश जी क्षमा भी कर देते हैं। इसके साथ ही हर दूज का चांद देखना भी जरूरी है, कलंक आदि से बचने के लिए।

    तरह-तरह की मनोकामना पूरी करने के लिए विनायक कई उपाय बताते हैं। शत्रुओं से रक्षा के लिए गणेश जी के पीली कांतिवाले स्वरूप का ध्यान करें। लाल रंग के गणेश जी बल-शक्ति प्रदान करते हैं। धन की इच्छा हो, तो हरे रंग के गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। हां, जिन्हें मोक्ष प्राप्त करना है, उन्हें सफेद रंग के गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। लेकिन इन कार्यों में सफलता तभी मिलेगी, जब आप तीनों समय गणपति का ध्यान और जाप करेंगे।