आज के दिन इसलिए मनाया जाता है ‘वर्ल्‍ड इडली डे’, जानें इसके पीछे की कहानी

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    नई दिल्ली: इडली के सभी डिश को भला कौन नहीं जानता, हमारे देश से लेकर विदेश तक इडली बहुत प्रसिद्ध है, आज पूरी दुनिया में ‘इडली दिवस’ मनाया जाता है। जी हां  30 मार्च को विश्व भर के कई देशों में बड़े उत्साह के साथ ‘वर्ल्ड इडली डे’ मनाया जाता है। बता दें कि इस दिन अलग-अलग होटलों पर इडली को कई तरह से बनाया जाता है। हमेशा से इडली को सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद और पोषक डिश माना जाता है। आज इडली डे के अवसर पर आइए जानते है इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी… 

    इस साल पहली बार मनाया गया था यह दिवस 

    आपको बता दें कि इडली डे को पहली बार साल 2015 में मनाया गया था। दरअसल एक सर्वे के मुताबिक इडली विश्व के सबसे पसंदीदा ब्रेकफास्ट में से एक है। इस डिश को विश्व के लगभग हर देशों में खाया जाता है। सैन फ्रांसिस्को से लेकर लंदन और न्यू जर्सी में भी इडली को ब्रेकफास्ट के तौर खाना बहुत पसंद किया जाता है। भारत में भी इडली लगभग हर शहरों में बड़े चाव से खाया जाता है। अब तक आप लोगों को लगता होगा कि इडली एक भारतीय पकवान है। लेकिन हम आपको बता दें कि ऐसा नहीं है। 

    सबसे पहले इस देश में बनी थी इडली 

    आपको बता दें कि इडली सबसे पहली बार इंडोनेशिया में बनाई गई थी। ये वहीं से भारत में आई है। इडली शब्द की उत्पत्ति ‘इडलीग’ से हुई थी। फूड हिस्टोरियंस के मुताबिक भारत में इडली 800 से 100 ईसा पहले आई थी। भारतीय फूड हिस्टोरियन के.टी. आचार्य ने लिखा है कि इडली को सबसे पहले सम्भवत इंडोनेशिया में बनाया गया था। अपनी पुस्तक “ए हिस्टोरिकल डिक्शनरी ऑफ इंडियन फूड” में उन्होंने लिखा है कि 7वीं शताब्दी में भारत में स्टीमिंग फूड का कोई सोर्स नहीं था। 

    जानें भारत में कैसे पहुंची इडली

    उन्होंने यह भी किताब में लिखा है कि इंडोनेशिया का “केडली” एक स्टीम केक की तरह बनने वाला डिश था। अपनी पुस्तक में उन्होंने एक अन्य समान इंडोनेशियाई डिश “बूरा” का उल्लेख है, जो अनिवार्य रूप से नारियल के दूध में पकाया जाने वाला एक आयताकार चावल का केक जैसा होता था, जिसे मसालेदार नारियल पाउडर के साथ परोसा जाता था। अपनी पुस्तक में, उन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण भारत के शासकों और व्यापारियों के बीच कई ऐतिहासिक संबंधों का उल्लेख किया है। के.टी. आचार्य लिखते हैं कि इन्ही व्यापारियों संबंधों के द्वार शायद भारत में इडली की शुरुआत हुई होगी। संस्कृत मानसोलासा में, ‘इदारिका’ शब्द का उल्लेख किया गया है, जो उड़द की दाल से बना एक व्यंजन है।