mobile phone
प्रतीकात्मक तस्वीर

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    -सीमा कुमारी

    डॉक्टर्स बताते हैं कि हमें चाहिए कि हम कम से कम सभी मोबाइल फोन का इस्‍तेमाल करें। इससे हमारे हेल्थ को खतरा है। खासतौर पर, प्रेग्‍नेंट महिला और उसके पेट मे पल रहे बच्‍चे के लिए ये और भी खतरनाक हो सकता है। प्रेग्‍नेंसी के दौरान मोबाइल फोन के इस्‍तेमाल से पेट में पल रहे बच्‍चे के विकास पर बुरा असर पड़ता है और इसकी वजह से प्रीमेच्‍योर डिलीवरी तक हो सकती है। 

    केवल मां ही नहीं, अगर मां के आस पास लोग वायरलेस चीजों का अधिक इस्‍तेमाल कर रहे हैं, तो इसका असर भी पड़ता है। रिसर्च के रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेडिएशन में अगर गर्भवती मां रहती है, तो जन्‍म के बाद बच्‍चे को जीवन भर बिहेवियर प्रॉब्‍लम से गुजरना पड़ता है। यही नहीं, इसकी वजह से गर्भ में पल रहे बच्‍चे के मानसिक विकास पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। तो आइए जानते हैं कि प्रेग्‍नेंसी के दौरान मोबाइल फोन के इस्‍तेमाल से बच्‍चे को क्‍या नुकसान हो सकता है और हम इससे कैसे बच सकते हैं।

    वायरलेस डिवाइस कैसे करता है बुरा असर

    दरअसल जब हम मोबाइल, लैपटॉप या किसी भी तरह के वाइफाई या वायरलेस डिवाइस के संपर्क में आते हैं, तो इससे हर वक्‍त इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेटिक रेडियो वेव्‍स निकलते रहते हैं। ये वेव्‍स हमारे शरीर के डीएनए को डैमेज करने की क्षमता रखते हैं और हमारे शरीर में बन रहे जीवित सेल्‍स के मोलक्‍यूल्‍स को बदल सकते हैं, जिसका असर लॉग टर्म काफी खतरनाक हो सकता है। चूंकि भ्रूण हर वक्‍त ग्रोथ कर रहा है, ऐसे में उसके डीएनए और लीविंग सेल्‍स आसानी से इसकी चपेट में आ सकते हैं, जिसका दूरगामी असर भी काफी खतरनाक हो सकता है।

    एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर मां और बच्‍चा 24 घंटे मोबाइल रेडिएशन के बीच हैं, तो बच्‍चे की मेमो‍री, ब्रेन ग्रोथ और बिहेवियर में खतरनाक रूप से समस्‍या आ सकती है। प्री और पोस्‍ट-डिलीवरी के बाद ऐसे बच्‍चों में हाइपरटेंशन की समस्‍या हो जाती है, जो समय के साथ बढ़ती जाती है। यही नहीं, बच्‍चे की भाषा, संचार पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।

    प्रेगनेंसी में मोबाइल के नुकसान

    • गर्भवती महिलाओं में रेडिएशन से मस्तिष्क की गतिविधि पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जिससे थकान, चिंता और नींद में रुकावट पैदा होती है।
    • गर्भावस्था के दौरान रेडियो वेव्स के लगातार संपर्क से आगे जाकर कैंसर का खतरा बन सकता है।
    • मां गर्भावस्था के दौरान फोन का अधिक इस्तेमाल करे या काफी करीबी लोग घर पर इसका इस्‍तेमाल करें, तो बच्‍चे के व्यवहार में 50 प्रतिशत बदलाव देखने को मिलता है।
    • ऐसे बच्‍चे अधिक एग्रेसिव और हाइपरटेंशन के पेशेंट हो जाते हैं।
    • शारीरिक और मानसिक एक्टिविटी में काफी कमी देखने को मिलती है। याददाश्त भी कम हो जाती है।  

    ऐसे करें बचाव

    • घर में जहां तक हो सके वाई फाई या ब्‍लूटूथ उपकरणों का इस्‍तेमाल कम करें।
    • बेहतर होगा अगर आप मोबाइल की बजाय लैंड लाइन फोन का इस्‍तेमाल करें।
    • रेडियो, माइक्रोवेव, एक्‍सरे मशीन आदि से दूरी बनाएं।