‘चैत्र नवरात्रि’ में अगर आपने प्रज्वलित की है अखंड ज्योति, तो  इन बातों का ज़रूर रखें ध्यान, वरना निष्फल हो जाएगी पूजा-आराधना

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: 22 मार्च यानी की बुधवार से मां दुर्गा के पावन पर्व नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि के प्रथम दिन ज्यादातर घरों में घटस्थापना और अखंड ज्योति भी प्रज्वलित की जाती है। अखंड ज्योत जब जलाते हैं, तब उसे नौ दिन बिना बुझे जलाने का प्रावधान होता है। अखंड ज्योति केवल दीपक नहीं होता बल्कि यह भक्ति का प्रकाश होता है, जो नौ दिन तक माता को अर्पित करते हैं। यह ज्योति हमारे तन और मन के अंधकार को दूर करती है और मां दुर्गा के आशीर्वाद से हमें संपूर्ण ज्ञान मिल सके इसलिए भी अखंड ज्योति प्रज्वलित करते हैं।

ऐसा माना जाता है कि अखंड ज्योति जलाने से मां स्वयं दीपक में विराजमान होती हैं और परिवार के सदस्यों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। शास्त्रों और पुराणों में अखंड ज्योति के कुछ नियमों के बारे में बताया गया हैं। आइए जानें इस बारे में-

इन बातों का रखें ध्यान

ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार मां के समक्ष अखंड ज्योति जलाने से पहले मन में ज्योति जलाने का संकल्प लें और मां से इसे पूरा करने का आशीर्वाद मांगें। इसके बाद भगवान गणेश, मां दुर्गा और शिवजी की आराधना करें। इसके बाद ‘ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते’ मंत्र का जप करने से लाभ होगा।

ज्योत के लिए देसी घी का इस्तेमाल करें। अगर घी नहीं है तो सरसों का तेल या तिल के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अखंड दीपक को माता के दाईं ओर रखें, अगर तेल का दीपक जला रहे हैं, तो उसे बाईं ओर रखें। अगर आपके पास पीतल का दीपक नहीं है तो मिट्टी के बड़े दीपक का प्रयोग कर सकते हैं। दीपक की लौ को हवा से बचाने के लिए कांच की चिमनी का से ढककर रखें।

वास्तु जानकारों के अनुसार, मां के सामने जलने वाला दीपक आग्नेय कोण में रखना शुभ माना जाता हैं। इसके अलावा, अखंड दीपक की ज्योति को बार-बार न बदलें। दीपक से दीपक भी न जलाएं। कहते हैं कि अगर आप ऐसा करते हैं, तो इससे रोग वृद्धि होती हैं। अखंड ज्योति को कभी भी फूंक मारकर या फिर खुद से नहीं बुझाना चाहिए। बल्कि इसे खुद से ही बुझने देना चाहिए।

कहते हैं, अखंड दीपक सदैव चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर या पटरी पर रखकर जलाएं। अगर आप अपनी अखंड ज्योति माता के सामने जमीन पर रख रहे हैं, तो उसके नीचे अष्टदल बनाएं और फिर दीपक जलाएं। बता दें कि अष्टदल हमेशा पीले रंग के चावल या फिर गुलाल से बनाया जाता है। अखंड ज्योति बाती हमेशा रक्षा सूत्र या फिर कलावा से बनाएं।