जरा सोचिए 1 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है नए साल का जश्न ? जानें इतिहास

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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: 2021 का आखिरी महीना दिसंबर खत्म होने में महज दो दिन बचे हैं। दो दिन के बाद पूरी दुनिया में नए साल (Happy New Year 2022) का आगाज हो जाएगा। ऐसे में हर कोई आने वाले साल का स्वागत करने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहें है। क्या आप जानते हैं कि 01 जनवरी को ही न्यू ईयर (New Year) क्यों मनाया जाता है ?आइए जानें नए साल का इतिहास –

    ग्रिगोरियन कैलेंडर का नया साल 1 जनवरी को होता है। हालांकि इसके अलावा भी बहुत सारे कैलेंडर चलन में हैं, लेकिन पूरी दुनिया में ग्रिगोरियन कैलेंडर के मुताबिक ही नए साल को मनाया जाता है।

    जनवरी की पहली तारीख को नए साल की शुरुआत होती है। हालांकि, पहले ऐसा नहीं था। पहले 25 मार्च और 25 दिसंबर को नए साल की शुरुआत होती थी। लेकिन, बाद में बदलाव किया गया और जनवरी को नया साल मनाया जाने लगा।

    अब आप सोच रहे होंगे की ऐसा क्यों हुआ ? बताया जाता है कि इसकी शुरुआत रोम से हुई, जहां राजा नूमा पोंपिलस ने रोमन कैलेंडर में बदलाव किया और इस कैलेंडर के आने के बाद से नए साल की शुरुआत जनवरी महीने से होने लगी।

    अब जनवरी को ही आखिर क्यों मार्च से रिप्लेस किया गया ? दरअसल, जनवरी के महीने को पहले ‘जानूस’ कहा जाता था। रोम के देवता का नाम ‘जानूस’ था। जिनके नाम पर महीने का नाम पड़ा। हालांकि बाद में इसे जनवरी कहा जाने लगा।

    पहले के कैलेंडर में सिर्फ 10 महीने होते थे। बाद में बदलाव हुआ और साल के 12 महीने होने लगे। जब साल के 10 महीने थे तो पूरे साल के 310 होते थे। तब एक हफ्ते में 8 दिन होते थे, बाद में जूलियस सीजर ने रोमन कैलेंडर में बदलाव किए और फिर 12 महीने और 365 दिन का साल हुआ। उन्होंने ही ऑफिशियल तौर पर 1 जनवरी को नया साल मनाने का बदलाव किया।

    ऐसे में दुनिया भर में 31 दिसंबर की आधी रात के बाद से कैलेंडर बदल जाता है और जनवरी से नया साल लग जाता है। ऐसे में लोग 31 दिसंबर की रात से ही जश्न मनाते हैं और नए साल का आगाज करते हैं।

    भारत में अलग अलग प्रांतों और धर्मों के अनुसार हर कोई अपना नया साल मनाता है। मसलन, पंजाब के लोग 13 अप्रैल को बैसाखी के रूप में अपना नया साल मनाते हैं और सिख धर्म को मानने वाले इसे ‘नानकशाही कैलेंडर’ के अनुसार मार्च में होली के दूसरे दिन अपना नया साल मनाते हैं।

    जबकि जैन धर्म को मानने वाले लोग दिवाली के दूसरे दिन नया साल मनाते हैं। यह भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन से शुरू होता हैं। जबकि बंगाल में पोएला बैशाख और हिंदू कैलेंडर के अनुसार विक्रम संवत के लिए से नया साल मनाया जाता हैं। इसके अलावा भी कई प्रांत के अलग अलग नए साल की शुरुआत मानी जाती है।