आज करवाचौथ (Karva chauth 2020) का महापर्व है, कार्तिक माह की चतुर्थी की दिन यह त्यौहार मनाया जाता है। इसलिए इसे ‘करवाचौथ’ कहते हैं। सुहागिन महिलाएं इस दिन पति की लंबी उम्र के लिए पूरा दिन निर्जला उपास करती हैं। पर क्या आप जानती हैं कि पहली बार यह व्रत किसने रखा था और इस दिन की शुरूआत कैसे हुई। तो चलिए जानते हैं करवाचौथ से जुड़ी कुछ खास बातें।
किसने रखा था पहला व्रत?
मान्यता है कि, सबसे पहले पार्वती माता ने शिवजी (Mata Parvati Shankar Puja) के लिए यह व्रत रखा था। जिससे उन्हें अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त हुआ था। इसलिए इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही महाभारत में पांडवो की विजय के लिए द्रौपद्री ने यह व्रत रखा था।
सदियों से चल रही है प्रथा
करवाचौथ की प्रथा सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि, एक बार देवताओं और दानवों के युद्ध में देवता हारने लगे थे। तभी भगवान ब्रह्मा जी ने उनकी पत्नियों से व्रत रखकर उनकी विजय के लिए प्रार्थना करने को कहा। इसी वजह से सभी देवताओं को जीत प्राप्त भी हुई। तब से करवाचौथ के दिन पत्नी का पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत करने लगी।
सुहागिन महिलाएं क्यों करती हैं व्रत?
स्त्री को माता दुर्गा का शक्ति स्वरुप मन जाता है, उन्हें यह वरदान प्राप्त है कि वो जिस चीज के लिए भी तप करेगी, उसे उसका फल अवश्य मिलेगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावित्री अपने पति को यमराज से वापस आई थी इसलिए महिलाएं करवाचौथ के व्रत के रूप में अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती है।
करवा के साथ क्यों सुनी जाती है गणेश जी की कथा?
पुराणों के अनुसार कथा कभी भी अकेले नहीं सुननी चाहिए इसलिए करवा के साथ गणेशजी की कथा भी सुनी जाती है। गणेश जी को बच्चे का रूप माना जाता है और इसलिए गणेशजी की पूजा की जाती है, ताकि महिलाओं को एक पत्नी और एक मां की शक्ति भी मिल सके।