ज्ञान की बात : क्यों हर किसी को रहता है संडे का इंतजार, जानें आखिर रविवार को ही क्यों आती है छुट्टी

    Loading

    नई दिल्ली : संडे का नाम लिया तो लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट होती है। लोगों को बेसब्री से संडे का इंतजार होता है, क्योंकि संडे मतलब फूल एन्जॉय और आराम का दिन होता है। हम सब जानते है संडे को ज्यादातर जगहों पर छुट्टी ही होती है। ऐसे में सब सोचते है की उस दिन कोई काम निपटाया जाये या कई घूमने जाए। संडे आमतौर पर खुशियों भरा होता है। लेकिन कभी आपने यह सोचा है आखिर संडे को ही छुट्टी क्यों होती है। तो चलिए आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताते है….. 

    संडे को दुनियाभर में होती है छुट्टी

    दरअसल अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संस्था ISO के मुताबिक, रविवार का दिन सप्ताह का आखिरी दिन माना जाता है और इसी दिन कॉमन छुट्टी रहती है। आपको बता दें कि रविवार को छुट्टी इसे साल 1986 में मान्यता दी गई, लेकिन इसका इतिहास काफी पुराना है। दरअसल, इसे सप्ताह का आखिरी दिन माने जाने की वजह से स्कूल, कॉलेजों में भी रविवार की ही छुट्टी का ऐलान कर दिया था, जिसके बाद लगातार रविवार को छुट्टी का दिन माना जाता है। 

    इसके पीछे है धार्मिक कारण

    जी आप जानकर हैरान हुए ना? आप भी सोच रहे होंगे की भला रविवार के छुट्टी का भला इसके पीछे क्या धार्मिक कारण हो सकता है। लेकिन आपको बता दें कि इसके पीछे कई धार्मिक कारण भी माने जाते हैं और इन धार्मिक कारणों की वजह से रविवार को ही छुट्टी का दिन चुना गया। दरअसल रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट ईसाई रविवार को ईश्वर का दिन मानते हैं और यूरोप समेत ज्यादातर ईसाई देशों में लोग रविवार को चर्च जाते हैं। ईसाई धर्म में मान्यता है कि ईश्वर ने दुनिया को छह दिन में बनाया और रविवार को आराम किया था। इस वजह से रविवार को आराम के दिन के रूप में चुना गया। 

    भारत में कैसे चुना रविवार को छुट्टी का दिन

    ऐसा कहा जाता है कि जब यहां अंग्रेज राज करते थे तब उस वक्त भारतीय सात दिन काम करते थे और उन्हें एक दिन आराम की आवश्यकता थी। इसके बाद 1857 में मजदूरों के नेता मेघाजी लोखंडे ने छुट्टी को लेकर आवाज उठाई और उन्होंने अंग्रेजों से छुट्टी के लिए संघर्ष किया और उनका कहना है था कि मजदूरों को एक दिन आराम और देश या समाज के लिए काम करने का दिन मिलना चाहिए। इस तरह अपने देश में रविवार को छुट्टी के दिन के रूप में चुना गया है। 

    भारत में ऐसी है रविवार की कहानी 

    हर रविवार को अंग्रेज लोग छुट्टी पर रहते थे या चर्च जाते थे, ऐसे में हुआ ये कि भारत में भी रविवार का दिन ही छुट्टी के लिए लोकप्रिय हो गया। बता दें कि वैसे रविवार को साप्ताहिक अवकाश के रूप में मान्यता भारत सरकार द्वारा नहीं दी गई है, बल्कि यह अंग्रेजो के समय से ही चलता आ रहा है। आपको बता दें कि एक आरटीआई में सरकार ने रविवार को सार्वजनिक छुट्टी होने से उसे मना कर दिया था।