पितृपक्ष में कौवे के अलावा इन 4 जीवों को कराएं भोजन, तभी मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

    Loading

    – सीमा कुमारी 

    हिंदू धर्म में पितृपक्ष (Pitru Paksha) का बहुत महत्व है। इस साल पितृपक्ष 10 सितंबर से शुरू हो रहा है। शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष 16  दिनों के होते हैं। ये भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। पितृ पक्ष के 16 दिन पितरों को समर्पित होते हैं। इस दौरान पूर्वजों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म आदि किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर कुछ जीवों के माध्यम से धरती पर आते हैं। वे जीव-जंतुओं का माध्यम से ही आहार ग्रहण करते हैं।

    इसलिए पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान जीवों को भोजन कराने का खास महत्व होता हैं। साथ ही इस दौरान जीव-जन्तुओं को भोजन जरूर कराया जाता है। आइए जानें पितृपक्ष में किन जीवों को भोजन कराने से पितरों की आत्मा को शान्ति मिलती है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना आवश्यक होता है। मान्यता है यदि व्यक्ति इस दौरान अपने पूर्वजों का श्राद्ध नहीं करते हैं तो उनसे पितृ रुष्ट हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध करने के बाद हम ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं, लेकिन इसके साथ ही हम कौए को भी भोजन कराते हैं।

    शास्त्रों के अनुसार ब्राह्मण भोज से पूर्व गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी यानी पंचबलि को भोजन कराना आवश्यक है। माना जाता है कि कौए इस समय में पितरों के रूप में हमारे आसपास विराजमान रहते हैं। श्राद्ध कर्म में भोजन से पहले पांच जगहों पर अलग-अलग भोजन का अंश निकाला जाता है। भोजन का ये अंश पत्ते पर गाय, कुत्ता, चींटी और देवताओं के लिए निकाला जाता है। जबकि, कौवे के लिए इसे भूमि पर रखा जाता हैं। फिर पितरों से प्रार्थना की जाती है कि वो इनके माध्यन से भोजन ग्रहण करें ।

    इन पांच अंशों के अर्पण को पञ्च बलि कहा जाता है। पञ्च बलि के साथ ही श्राद्ध कर्म पूर्ण माना जाता है। श्राद्ध में भोजन का अंश ग्रहण करने वाले इन पांचों जीवों का विशेष महत्व होता है। इसमें कुत्ता जल तत्व, चींटी अग्नि, कौवा वायु का, गाय पृथ्वी तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक माने गए हैं। इन पांचों को आहार देकर पंच तत्वों के प्रति आभार व्यक्त किया जाता हैं। मान्यता है कि पितृ पक्ष में इन जीवों को भोजन कराने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिल सकती है।