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    -सीमा कुमारी

    दीपावली भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दीपावली दीपों का त्योहार है। आध्यात्मिक रूप से यह ‘अन्धकार पर प्रकाश की विजय’ का त्योहार है। दीपावली पर धन की देवी लक्ष्मी और बुद्धि एवं शुभता के देव गणपति की पूजा की जाती है।

    हमारे समाज में इस पूजा से जुड़ा एक विशेष विधान है कि, दीपावली पर लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्ति की पूजा होती है। धनतेरस के दिन लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति खरीदना बहुत शुभ माना जाता है।  

    लेकिन, भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति खरीदते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से हमारा पूजन सफल होता है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। आइए जानें  इस धनतेरस पर आप गणेश-लक्ष्मी की कैसी मूर्ति घर लाएं –

    • ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, पूजाघर में रखने के लिए लक्ष्मी और गणपति की ऐसी मूर्तियां खरीदनी चाहिए, जिनमें दोनों का विग्रह अलग-अलग हो। एक साथ जुड हुए लक्ष्मी- गणेश की प्रतिमा नहीं खरीदनी चाहिए।
    • लक्ष्मी जी की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें कि उनके हाथ से सिक्के गिर रहे हो। इन लक्ष्मी को धन लक्ष्मी कहा जाता है, धन लक्ष्मी का पूजन घर में धन-धान्य और समृद्धि लाता है।
    • ऐसी मूर्ति खरीदें, जिसमें गणेशजी के हाथ में मोदक हो। ऐसी मूर्ति सुख और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।
    • दीपावली पर मिट्टी की बनी मूर्ति का पूजन करना सबसे शुभ माना जाता है। आप अष्टधातु, पीतल या चांदी की मूर्ति का भी पूजन कर सकते हैं। लेकिन, प्लास्टर ऑफ पेरिस या प्लास्टिक की मूर्ति का पूजन नहीं करना चाहिए।
    • गणेश जी की प्रतिमा खरीदते समय ध्यान दे कि उनकी सूंड बाईं तरफ मुड़ी हुई हो और उनका वाहन चूहा मूर्ति में जरूर बना हुआ हो।
    • पूजा करते समय गणपति और लक्ष्मी माता की मूर्ति घर की पूर्व दिशा, ईशान्य या ब्रह्म स्थान (घर का मध्य भाग) में रखें। यहीं बैठकर विधि पूर्वक पूजा करें।
    • गणेश-लक्ष्मी बैठी हुई मुद्रा की ही मूर्ति का पूजन करना चाहिए। खड़ी हुई मुद्रा की मूर्तियां उग्र स्वभाव की विनाशक मानी जाती हैं।
    • वास्तुशास्त्र के अनुसार, मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें कि मूर्ति कहीं से खंड़ित या टूटी हुई न हो, ऐसी मूर्ति का पूजन करना अशुभ माना जाता है।