-सीमा कुमारी
जब भी आप मंदिर जाते है तो मंदिर में घुसने से पहले वहां लगी घंटियों (Temple bells) को जरूर बजाते हैं। घंटी बजाने की परंपरा की कोई नई परंपरा नहीं है, बल्कि सदियों से चली आ रही एक परंपरा है, जो आज भी कायम है, लेकिन अक्सर यह सवाल उठता है कि आखिर मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटी क्यों बाजते हैं? क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण चलिए जानते है इसके बारें में…
- मान्यता है कि घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है, जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है।
- जानकार बताते है कि मंदिर में घंटी लगाए जाने के पीछे न सिर्फ धार्मिक कारण है बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसकी सीमा में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे मंदिर और उसके आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है।
- यह भी कहा जाता है कि कई बार मंदिर के देवता सुप्तावस्था में होते हैं ऐसे में घंटी बजाकर पहले उन्हें जगाना चाहिए फिर पूजा करनी चाहिए।
- ऐसा माना जाता है कि देवताओं की प्रसन्नता के लिए घंटी बजाना शुभ होता है, मान्यता अनुसार, देवी -देवताओं को घंटी, शंख और घड़ियाल आदि की आवाज काफी पसंद होती है।कहते है कि घंटी की आवाज से देवता प्रसन्न होकर देवता भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।
- ऐसा कहते हैं कि जिन जगहों पर घंटी बजने की आवाज हमेशा आती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र रहता है, यह भी माना जाता है कि घंटी बजाने से नकारात्मक शक्तियां हटती हैं, जिससे लोगों के समृद्धि के द्वार खुल जाते हैं।
- शास्त्रों के अनुसार, मंदिर में घंटी बजाने से इंसान के कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। कहते हैं कि जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ, तब जो नाद (आवाज) गूंजी थी, वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है। घंटी उसी नाद का प्रतीक है।